दिल्ली ब्लास्ट मामले में नया मोड़, अल फलाह यूनिवर्सिटी के 10 लोग हुए लापता

दिल्ली के लाल किला कार धमाके की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है। हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी में काम करने वाले या पढ़ाई करने वाले कम से कम 10 लोग लापता बताए जा रहे हैं।

Nov 20, 2025 - 19:11
Nov 20, 2025 - 19:11
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दिल्ली ब्लास्ट मामले में नया मोड़, अल फलाह यूनिवर्सिटी के 10 लोग हुए लापता

दिल्ली के लाल किला कार धमाके की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है। हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी में काम करने वाले या पढ़ाई करने वाले कम से कम 10 लोग लापता बताए जा रहे हैं। इनमें से तीन कश्मीरी मूल के लोग भी शामिल हैं। जांच एजेंसियां इस यूनिवर्सिटी को अब धमाके की साजिश का ग्राउंड जीरो मान रही हैं। माना जा रहा है कि फिदायीन हमलावर डॉ. उमर उन नबी, जिसने 10 नवंबर को i20 कार में विस्फोट किया था, इसी यूनिवर्सिटी से जुड़ा हुआ था।

जांच में सामने आए गायब लोगों के सुराग

सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा पुलिस ने यूनिवर्सिटी में संयुक्त अभियान चलाया, जिसके दौरान इन 10 लोगों के फोन बंद मिले और उनका कोई पता नहीं चल सका। खुफिया एजेंसियों का मानना है कि ये लोग उसी ‘व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ का हिस्सा हैं, जिसके तहत डॉ. उमर नबी ने लाल किला धमाका किया था। बताया जा रहा है कि विस्फोट के लिए उसने अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल (ANFO) का इस्तेमाल किया था। खुफिया सूत्रों ने दावा किया है कि इस पूरे मॉड्यूल के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हाथ है। एजेंसियां मान रही हैं कि यह नेटवर्क वित्तीय और तकनीकी दोनों रूप से जैश से जुड़ा हो सकता है।

व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क का खुलासा

10 नवंबर को हुए इस VBIED धमाके को जांचकर्ता पुलवामा के बाद दूसरा बड़ा सुसाइड हमला मान रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस हमले के पीछे “व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क” काम कर रहा है, जिसमें शिक्षित और तकनीकी रूप से सक्षम लोग शामिल हैं। इस नेटवर्क को जैश-ए-मोहम्मद द्वारा संचालित बताया जा रहा है, जो नए तरीके से आतंक को शैक्षणिक और तकनीकी संस्थानों के माध्यम से पनपा रहा है।

महिला आतंकी के इस्तेमाल की भी आशंका

जांचकर्ताओं को कुछ डिजिटल सबूत मिले हैं, जिनसे संकेत मिलता है कि जैश के सरगना डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए फंडिंग कर रहे थे। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इसके लिए पाकिस्तानी ऐप ‘SadaPay’ का इस्तेमाल किया गया। इतना ही नहीं, सुरक्षा एजेंसियों को इस बात के भी संकेत मिले हैं कि एक महिला आतंकी की अगुवाई में नए फिदायीन हमले की साजिश रची जा रही थी।

जांच एजेंसियां हुईं अलर्ट

इस पूरे मामले के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी प्रशासन और छात्रों की गतिविधियों की निगरानी बढ़ा दी गई है। खुफिया एजेंसियां अब इन लापता लोगों के डिजिटल ट्रेल, बैंकिंग रिकॉर्ड और विदेश संपर्कों की गहराई से जांच कर रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि इन सुरागों से लाल किला धमाके की साजिश के कई और पहलू उजागर हो सकते हैं।



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