श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहीदी शताब्दी पर आयोजित साइकिल यात्रा का लुधियाना में किया गया स्वागत
श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी शताब्दी के अवसर पर दिल्ली से अमृतसर तक साइकिल यात्रा का आयोजन किया गया। आज वह साइकिल यात्रा पंजाब के लुधियाना पहुंच गई है। साथ ही, इस अवसर पर संगत ने गुरु साहिब के उपदेशों को याद करते हुए “नशे से दूर रहो, प्रकृति को बचाओ और सेवा के मार्ग पर चलो” का संदेश दिया।
श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी शताब्दी के उपलक्ष्य में शुरू की गई धार्मिक साइकिल यात्रा दिल्ली से लुधियाना पहुंच चुकी है। दिल्ली के ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री सीसगंज साहिब से शुरू हुई यह यात्रा सोमवार को लुधियाना पहुंची, जहां जगह-जगह संगत ने इसका गर्मजोशी से स्वागत किया। यात्रा का उद्देश्य स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और गुरु साहिब की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाना है।
गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान को नमन
यह यात्रा श्री गुरु तेग बहादुर जी की बलिदान परंपरा और धार्मिक स्वतंत्रता की भावना को समर्पित है। DSGMC के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके के नेतृत्व में साइकिल सवार लोग दिल्ली से रवाना हुए थे। उन्होंने बताया कि यह यात्रा गुरु नगरी अमृतसर तक लगभग 700 किलोमीटर की दूरी तय करेगी।
लुधियाना में हुआ भव्य स्वागत
अंबाला, फगवाड़ा, फिल्लौर और जालंधर होते हुए यह साइकिल यात्रा जब लुधियाना पहुंची, तो वहां लोगों ने फूल बरसाकर साइकिल सवारों का स्वागत किया। इस अवसर पर संगत ने गुरु साहिब के उपदेशों को याद करते हुए “नशे से दूर रहो, प्रकृति को बचाओ और सेवा के मार्ग पर चलो” का संदेश दिया। मनजीत सिंह जीके ने बताया कि साइकिल यात्रा का उद्देश्य न केवल गुरु साहिब की शिक्षाओं को दोहराना है, बल्कि समाज में धार्मिक एकता और सद्भाव का संदेश फैलाना भी है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा धर्म परिवर्तन के खिलाफ जागरूकता फैलाने और युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़ने का प्रयास है।
स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूकता
आयोजकों के अनुसार, यात्रा का एक और महत्वपूर्ण पहलू पर्यावरण को बचना है। सैकड़ों साइकिल सवार “स्वस्थ शरीर, स्वच्छ पर्यावरण” का संदेश लेकर आगे बढ़ रहे हैं। यह यात्रा समाज को शारीरिक फिटनेस, हरियाली और आध्यात्मिकता के संगम की प्रेरणा दे रही है। साइकिल यात्रा अब अमृतसर की ओर रवाना होगी, जहां यह श्री हरमंदिर साहिब में प्रार्थना के साथ संपन्न होगी। आयोजकों ने कहा कि यह यात्रा गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाओं पर चलने और मानवता के लिए बलिदान की भावना को पुनर्जीवित करने का प्रतीक है।
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