क्रेडिट कार्ड बेचने के लिए पीछे क्यों पड़ा रहता है बैंक...कैसे होता है तगड़ा मुनाफा ?

क्रेडिट कार्ड बैंकों के लिए इनकम का एक स्टेबल सोर्स हैं, इसलिए बैंक कस्टमर्स की संख्या बढ़ाने और कंज्यूमर खर्च को बढ़ावा देने पर फोकस करते हैं।

Dec 21, 2025 - 12:04
Dec 21, 2025 - 13:13
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क्रेडिट कार्ड बेचने के लिए पीछे क्यों पड़ा रहता है बैंक...कैसे होता है तगड़ा मुनाफा ?
Credit Card

शॉपिंग मॉल हो, मैट्रो स्टेशन हो या फिर एयरपोर्ट आपको कुछ लोग वहां पर क्रेडिट कार्ड लेने के लिए अप्रोच करते हुए दिख जाएंगे। इसके अलावा आपको फोन कॉल के ज़रिए भी क्रेडिट कार्ड लेने के लिए बैंकों से कॉल आते ही होंगे। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों क्रेडिट कार्ड लेने के लिए बैंक ग्राहकों से संपर्क करता है? और बार-बार क्रेडिट कार्ड लेने के लिए अलग-अलग तरीके से लोगों को अप्रोच करता है। आखिर इससे बैंक को क्या और कितना फायदा होता है? आज के इस लेख के ज़रिए इससे जुड़े आपको सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे।

क्या होता है क्रेडिट कार्ड ? 

क्रेडिट कार्ड बैंक की ओर से दी गई एक ऐसी सुविधा है, जिसके जरिए ग्राहक तय लिमिट तक बिना तुरंत भुगतान किए खरीदारी कर सकता है। इसमें बैंक अस्थायी तौर पर पैसा देता है, जिसे यूजर बाद में तय समय के भीतर चुका सकता है। लोग अक्सर आपात जरूरतों में पैसों की व्यवस्था, ऑनलाइन और ऑफलाइन आसान पेमेंट, कैशबैक या रिवॉर्ड पॉइंट्स पाने और अपनी क्रेडिट हिस्ट्री मजबूत करने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, अगर समय पर बिल का भुगतान न किया जाए, तो भारी ब्याज और अलग-अलग चार्ज लग सकते हैं। इसलिए क्रेडिट कार्ड का सही फायदा तभी मिलता है, जब इसका इस्तेमाल समझदारी और जिम्मेदारी के साथ किया जाए।

तेजी से फैल रहा क्रेडिट कार्ड बिजनेस

भारत में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बैंक कैशबैक, रिवॉर्ड पॉइंट्स और कई तरह के स्पेशल ऑफर्स पेश कर रहे हैं। क्रेडिट कार्ड की मदद से ग्राहक बिना तुरंत भुगतान किए कहीं भी खरीदारी कर सकता है और बिल चुकाने के लिए उसे करीब 45 दिन तक का समय मिलता है। समय पर भुगतान करने पर अतिरिक्त फायदे भी मिलते हैं। इस तरह जहां यूजर को सुविधा मिलती है, वहीं बैंक भी इससे अच्छा मुनाफा कमाते हैं।

क्रेडिट कार्ड से कैसे कमाते हैं बैंक ?

RBI के आंकड़ों के अनुसार, 2025 की शुरुआत तक देश में 11 करोड़ से ज्यादा क्रेडिट कार्ड सक्रिय हैं। बैंकों के लिए क्रेडिट कार्ड सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि एक मजबूत कमाई का जरिया बन चुका है। यदि ग्राहक तय समय पर पूरा भुगतान नहीं करता, तो बकाया राशि पर 15 से 40 प्रतिशत तक का भारी ब्याज लगाया जाता है।

इसके अलावा, एनुअल फीस, लेट पेमेंट चार्ज, इंटरचेंज फीस, कैश एडवांस चार्ज, बैलेंस ट्रांसफर फीस और EMI में बदलने की फीस जैसे कई शुल्कों से भी बैंक अच्छी-खासी कमाई करते हैं। इसी कारण बैंक ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड से जोड़ने और खर्च बढ़ाने की कोशिश करते हैं।

इंटरचेंज फीस क्या होती है?

जब कोई ग्राहक क्रेडिट कार्ड से किसी दुकान या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भुगतान करता है, तो बैंक उस मर्चेंट से ट्रांजैक्शन राशि का लगभग 1 से 3 प्रतिशत तक कमीशन वसूलता है। इसी रकम को इंटरचेंज फीस कहा जाता है, जो बैंक की आमदनी का अहम हिस्सा होती है।

कैश एडवांस फीस क्या है?

अगर आप क्रेडिट कार्ड के जरिए ATM या बैंक से नकद पैसा निकालते हैं, तो निकाली गई राशि पर 2.5 से 5 प्रतिशत तक चार्ज लिया जाता है। खास बात यह है कि इस सुविधा पर कोई ग्रेस पीरियड नहीं मिलता और उसी दिन से ब्याज लगना शुरू हो जाता है। उदाहरण के तौर पर, यदि आपने 10,000 रुपये का कैश एडवांस लिया और 3 प्रतिशत फीस लगी, तो बैंक सिर्फ चार्ज के रूप में ही तुरंत 300 रुपये कमा लेता है, जबकि ब्याज अलग से जुड़ता रहता है।

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