अयोध्या में भगवान राम को उनके बाल स्वरूप में यानी राम लला के तौर पर पूजा जाता है। हालांकि यहां के जानकी महल मंदिर में उन्हें दामाद के तौर पर सम्मान दिया जाता है।
भारतीय परिवारों खास कर हिंदी भाषी इलाकों में दामाद का खास ख्याल रखा जाता है। हालांकि उनके साथ हंसी मजाक की परंपरा भी है जिसमें उन्हें ताने भी दिए जाते हैं।
इसी परंपरा को निभाते हुए जानकी महल मंदिर में रोजाना होने वाले दैनिक भोग समारोह के दौरान हंसी मजाक के साथ ताने देने वाले गीत गाए जाते हैं।
जैसे की दामाद को मीठी-मीठी गाली दी जाती है हम लोग भी राम जी को मीठी गाली देकर के इनको प्रसन्न किया जाता है।
अयोध्या में जिस जगह पर जानकी महल मंदिर है उसका जुड़ाव नेपाल के शाही परिवार से रहा है। इस जमीन को 1942 में मोहन लाल केजरीवाल ने खरीदा और इसे अयोध्या में देवी जानकी के पैतृक घर का रूप दे दिया।
मान्यता है कि भगवान श्रीराम की पत्नी सीता का दूसरा नाम जानकी है और उनका जन्म मिथिला में हुआ था जिसे आजकल नेपाल के तौर पर जाना जाता है।
“जिस तरीके से जमाई जब घर आता है तो उसका सुबह से शाम तक हम खातिरदारी करते हैं जैसे कोई भी अपने इन लॉज के घर जाता है लड़का तो उसकी सुबह से रात तक खातिरदारी होती है। उसी प्रकार यहां पर रामजी की सुबह से रात तक खातिरदारी की जाती है।
मान्यता है कि राम-सीता की शादी हिंदू कैलेंडर के पौष महीने में हुई थी। इसलिए हर साल इस महीने जानकी महल मंदिर में भव्य समारोह होता है। इस दौरान यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
मंदिर की देखरेख करने वालों के मुताबिक श्रीराम मंदिर आंदोलन के दौरान यहां विश्व हिंदू परिषद और दूसरे हिंदू संगठनों के बड़े नेताओं का जमावड़ा रहता था।