प्रखर अंदाज, कुशल वक्ता व मीडिया से समन्वय रखने में माहिर प्रवीण अत्रे को बनाया गया सीएम का मीडिया सचिव 

प्रवीण अत्रे की सिफारिश पर ही मुख्यमंत्री नायब सैनी ने दोनों योजनाओं में बदलाव किया और केवल एफआईआर दर्ज होने पर ही सभी सरकारी सुविधाएं और पेंशन बंद नहीं किए जाने का ऐलान किया।

Jan 8, 2025 - 12:57
Jan 8, 2025 - 12:57
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प्रखर अंदाज, कुशल वक्ता व मीडिया से समन्वय रखने में माहिर प्रवीण अत्रे को बनाया गया सीएम का मीडिया सचिव 
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चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़ : मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के मीडिया सचिव पद पर प्रवीण अत्रे की नियुक्ति कर उन पर अपना पूरा भरोसा जताया है। प्रवीण अत्रे ने लोकसभा व विधानसभा चुनावों में मीडिया से सामंजस्य रख कर जिस तरह अपनी बेहतरीन कार्य प्रणाली से अपने काम की प्रमाणिकता दी थी,उस से नायब सैनी व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल दोनों इनसे खुश थे। एक बार फिर से मुख्यमंत्री के मीडिया संबंधित बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। भाजपा के संगठन और मुख्यमंत्री कार्यालय ने हरियाणा में तीसरी बार एतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद भाजपा ने प्रवीण अत्रे को दी जाने वाली जिम्मेदारी पर अपनी अंतिम मुहर लगाई है ।

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में प्रवीण अत्रे मुख्यमंत्री के लिए मीडिया संबंधी कार्यों को बखूबी निभाकर अपनी कार्यकुशलता का परिचय दे चुके हैं। इसके अलावा प्रवीण अत्रे को पुराना मीडिया संबंधी अच्छा अनुभव है। पूर्व में अत्रे ने इलेक्ट्रॉनिक चैनल में सरकार का पक्ष रखने की कमान भी बखूबी संभाली थी। यहां तक की चैनल में पार्टी की ओर से गेस्ट भेजने की जिम्मेदारी भी उनके ही पास थी। जानकारों की माने तो अत्रे को मुख्यमंत्री के मीडिया सचिव या मीडिया सलाहकार के रूप में नियुक्ति मिलने के कारणों में इनका प्रखर अंदाज भी सहायक बना है। मीडिया समन्वय में प्रवीण अत्रे से अच्छी भूमिका कोई नहीं निभा सकता। 

मीडिया रिपोर्ट की माने तो पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल भी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से प्रवीण अत्रे को लेकर अपनी सिफारिश पहले ही कर चुके थे । बता दें कि हरियाणा में मनोहर सरकार के दौरान प्रवीण अत्रे मुख्यमंत्री के मीडिया सचिव के पद पर कार्यरत थे। नायब सैनी के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वह उसी पद पर बरकरार रहे थे। हालांकि विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद आचार संहिता लगने पर अत्रे ने मुख्यमंत्री के मीडिया सचिव के पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद चुनाव के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सैनी के मीडिया को संभालने का कार्य किया था। 

मुख्यमंत्री की भी पसंद हैं अत्रे
प्रवीण अत्रे की कार्यप्रणाली के चलते वह मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की भी पसंद बने हुए हैं। यहीं कारण है कि मुख्यमंत्री खुद भी अत्रे को अपने भरोसेमंद लोगों की टीम में रखना चाहते हैं।हाल ही में अत्रे के एक निजी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने करीब डेढ़ घंटे का समय गुजारा था। इससे साफ हो जाता है कि वह मुख्यमंत्री के करीबी लोगों में शामिल हैं।

मीडिया और सरकार के बीच बनते है कड़ी
मुख्यमंत्री के मीडिया सचिव रहते हुए प्रवीण अत्रे पत्रकारों की कईं मांगों को सरकार से पूरा करवा चुके हैं। सरकार और पत्रकारों के बीच एक कड़ी का काम करते हुए जहां प्रवीण अत्रे पत्रकारों को आने वाली दिक्कत से मुख्यमंत्री को अवगत करवाकर उन्हें दूर करने की कोशिश करते हैं। वहीं, वह सरकार के कार्यों को भी बखूबी आम जन तक पहुंचाने के लिए बेबाक रूप से मीडिया के बीच अपनी बात रखने का कार्य करते हैं।

चुनावों के दौरान कांग्रेस के स्टार प्रचारकों और बड़े नेताओं के भाषणों और बयानों पर तुरंत प्रतिक्रियाएं जारी करवाने तथा नेगटिव खबरों पर नजर रखने का कार्य प्रवीण अत्रे ने बखूबी निभाया। प्रवीण अत्रे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के पहले कार्यकाल में उनके अत्यंत करीबी रहे। प्रवीण अत्रे ने मीडिया संगठनों, डीजीआईपीआर से समन्वय रख चंडीगढ़ में खुद को प्रमाणिक किया हुआ है। ताजा तरीन घटनाओं तथा विपक्ष के बयानों पर प्रवीण अत्रे बखूबी प्रतिक्रिया देते हैं। 

प्रवीण अत्रे चुनाव से पहले पत्रकारों को कैशलैस सुविधा देने की पूरी वकालत करते रहे हैं। अत्रे के सार्थक प्रयासों से नायब सैनी ने सालों से चली आ रही पत्रकारों की दो मांगों को पूरा करने का काम किया था, जिनमें पत्रकार पर केस दर्ज होने की सूरत में उसकी पेंशन राशि और अन्य सरकारी सुविधाओं को बंद करना और एक परिवार में एक ही पत्रकार को पेंशन राशि देना शामिल था। प्रवीण अत्रे की सिफारिश पर ही मुख्यमंत्री नायब सैनी ने दोनों योजनाओं में बदलाव किया और केवल एफआईआर दर्ज होने पर ही सभी सरकारी सुविधाएं और पेंशन बंद नहीं किए जाने का ऐलान किया। इसके साथ ही परिवार में दो पत्रकार होने पर उन दोनों को ही सरकार की ओर से पेंशन राशि देने की भी मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी। अत्रे शुरु से ही मीडिया और सरकार के बीच एक कड़ी का कार्य करते रहे हैं। वह पत्रकारों को आने वाले दिक्कतों को जानकर उन्हें मुख्यमंत्री तक पहुंचाकर उनका हल निकालने की कोशिश में लगे रहते हैं।

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