गणतंत्र दिवस पर संस्कृति मंत्रालय की झांकी में बी आर आंबेडकर द्वारा देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को संविधान सौंपने की प्रतिकृतियों और लोकतांत्रिक लोकाचार को प्रतिबिंबित करने वाले प्राचीन प्रतीकों को प्रदर्शित किया गया। ‘‘भारत: लोकतंत्र की जननी’’ विषयवस्तु वाली यह झांकी परेड का हिस्सा बनी।
गणतंत्र दिवस समारोह पर आधिकारिक पुस्तिका में झांकी के विवरण के अनुसा ज्ञान की प्राचीन भूमि, भारत ने न केवल गहन आध्यात्मिक शिक्षाओं को जन्म दिया, बल्कि लोकतंत्र के बीज को भी पोषित किया। भारत में लोकतंत्र बाकी दुनिया द्वारा इसके महत्व को पहचानने से बहुत पहले फला-फूला।
इसमें कहा गया है कि प्राचीन भारत में लोकतांत्रिक भावना केवल एक राजनीतिक विचारधारा नहीं थी, बल्कि आध्यात्मिकता और समाज के विभिन्न क्षेत्रों को शामिल करने वाला एक समग्र लोकाचार था।
इसके मुताबिक, ऋग्वेद इस सार को “एकम् सद् विप्र बहुधा वदंति” नामक कालजयी श्लोक में समाहित करता है, जो लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांत ‘विविधता में एकता’ पर जोर देता है।