महाकुंभ का ऐसा शिविर जो कुंभ की जमीन से नहीं हटता कभी भी, 11 वर्षों से जल रही है अखंड ज्योति

देवरहा बाबा के अनुयायियों ने भी इस बार बड़े पैमाने पर शिविर स्थापित करने और संत के उपदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया है। उनके शिविर में ध्यान, योग और भजन-कीर्तन जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।  

Dec 1, 2024 - 09:26
Dec 1, 2024 - 10:46
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महाकुंभ का ऐसा शिविर जो कुंभ की जमीन से नहीं हटता कभी भी, 11 वर्षों से जल रही है अखंड ज्योति
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प्रयागराज महाकुंभ को भव्य बनाने के लिए तैयारियां जोरों से चल रही है। महाकुंभ क्षेत्र में अखाड़ों और साधु संतों के लाखों शिविर तैयार हो रहे हैं जो कुंभ खत्म होने के बाद हट जाएंगे लेकिन कुंभ की जमीन पर एक ऐसा भी शिविर है जो कभी नहीं हटता हमेशा लगा रहता है। 

हम बात कर रहे हैं ब्रह्मलीन संत स्वामी देवरहा बाबा का शिविर जो न कभी बनता है और न कभी उजड़ता है। शिविर के प्रभारी संत रामदास बताते हैं कि यह शिविर 17 साल पहले संत देवरहा बाबा की स्मृति में स्थापित किया गया था जो आज तक नहीं हटाया गया है। बाढ़ के समय ये जमीन जलमग्न हो जाती है तब भी इस शिविर के देवता यहां इसी जगह विराजमान रहते हैं। 

संत देवरहा बाबा का शिविर और उसकी ऐतिहासिक महत्ता

17 साल पहले 2007 में, प्रयागराज के महाकुंभ के दौरान संत देवरहा बाबा की स्मृति में विशेष शिविर स्थापित किया गया था। देवरहा बाबा, जिनका नाम आध्यात्मिक जगत में अत्यंत सम्मान के साथ लिया जाता है, गंगा किनारे तपस्वी जीवन जीने वाले महान संत थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में लाखों श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया और उन्हें धर्म व मानवता की सीख दी।  

यह शिविर न केवल उनकी स्मृति को जीवंत रखने का माध्यम है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनके विचारों और उपदेशों से परिचित कराने का एक प्रयास भी है। शिविर में बाबा के जीवन से जुड़े चित्र, पांडुलिपियां और आध्यात्मिक पुस्तकें रखी गई हैं। महाकुंभ 2025 के दौरान, इस शिविर को और भव्य स्वरूप देने की योजना बनाई जा रही है, ताकि यह देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन सके।  

देवरहा बाबा के शिविर की खास भूमिका इस महाकुंभ को और भी विशेष बनाएगी। संत के विचारों को आधुनिक युग के संदर्भ में पेश करना, उनकी स्मृतियों को सहेजना और श्रद्धालुओं को उनके उपदेशों से प्रेरित करना इस शिविर का मुख्य उद्देश्य होगा।  

देवरहा बाबा के अनुयायियों ने भी इस बार बड़े पैमाने पर शिविर स्थापित करने और संत के उपदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया है। उनके शिविर में ध्यान, योग और भजन-कीर्तन जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।  

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Purshottam Rathore पुरषोत्तम को मीडिया में काम करने का 4 साल से ज्यादा का अनुभव है। इन्होनें अपने सफर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी जिसके बाद इन्होनें डिजिटल मीडिया का रुख किया। पुरषोत्तम को डिजिटल मीडिया में काम करने का 2 साल से ज्यादा का अनुभव है और वह मुख्य रूप से राजनीतिक खबरों में रुचि रखते हैं। पुरषोत्तम राजनीतिक खबरों को सरल भाषा में अपने पाठकों तक पहुंचाते हैं। फुर्सत के समय में, पुरषोत्तम को गाने सुनना पसंद है वह ज्यादातर हिंदी और भोजपुरी गाने सुनना पसंद करते हैं।