वेस्ट लकड़ी से पोट बनाकर कारविंग की शिल्पकला को मिल चुके हैं राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सम्मान
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर 15 दिसंबर तक लगने वाले इस सरस और क्राफ्ट मेले में शिल्पकारों की अनोखी शिल्पकला की मेहनत के सार को खुद में ही ब्यां कर रही है।
एमएच वन ब्यूरो, चंडीगढ़ : अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन घाटों पर अलग-अलग राज्यों सें पहुंचे शिल्पकारों की शिल्पकला ने पर्यटकों के मन को मोह लिया है। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर 15 दिसंबर तक लगने वाले इस सरस और क्राफ्ट मेले में शिल्पकारों की अनोखी शिल्पकला की मेहनत के सार को खुद में ही ब्यां कर रही है। इतना ही नहीं इस सरस और क्राफ्ट मेले में विभिन्न राज्यों से आए शिल्पकारों ने अपनी हस्त शिल्पकला को अदभुत तरीके से सजाने का काम किया गया है। अहम पहलू यह है कि वेस्ट लकड़ी से पोट बनाकर और कारविंग की शिल्पकला को पूरे राष्ट्र में पंसद किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन तटों पर शिल्पकारों ने अपनी शिल्पकला को सजाया हुआ है। ये शिल्पकार अपने साथ लकड़ी का बना साज्जो-सजावट का सामान लेकर आए है। वे यह सारा सामान नीम, शीशम व टीक की लकड़ी से बनाते है तथा इसको बनाने में कम से कम 2 से 4 दिन का समय लगता है।
शिल्पकारों ने बातचीत करते हुए कहा कि अपनी हस्त शिल्पकला का प्रदर्शन वे अन्य राज्यों में भी करते है। वे इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हर वर्ष आते है तथा इस बार वे अपने साथ झूला, कॉफी सेट, टी सेट, रॉकिंग चेयर, रेस्ट चेयर, फ्लावर पोर्ट, कार्नर व स्टूल लेकर आए है। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर इस अदभुत शिल्पकला ने एक अनोखी छाप छोड़ी है।
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