भीगते परिवार को देखकर बनी सबसे सस्ती कार: जानें Ratan Tata की उद्योगपति बनने की कहानी

रतन टाटा के माता-पिता का बचपन में ही तलाक हो गया था, जिसके बाद उनकी दादी ने उनका पालन-पोषण किया। रतन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कैंपियन स्कूल, मुंबई से प्राप्त की।

Oct 10, 2024 - 13:07
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भीगते परिवार को देखकर बनी सबसे सस्ती कार: जानें Ratan Tata की उद्योगपति बनने की कहानी
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भारतीय उद्योग जगत की महानतम हस्तियों में से एक रतन नवल टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। वे टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते हैं। रतन टाटा का जीवन और करियर कई मायनों में प्रेरणादायक है, जिसने उन्हें उद्योग जगत की ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

रिवरडेल कंट्री स्कूल, न्यूयॉर्क से की पढ़ाई

रतन टाटा के माता-पिता का बचपन में ही तलाक हो गया था, जिसके बाद उनकी दादी ने उनका पालन-पोषण किया। रतन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कैंपियन स्कूल, मुंबई से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल और बिशप कॉटन स्कूल, शिमला से पढ़ाई की। आगे की पढ़ाई के लिए वे अमेरिका चले गए और रिवरडेल कंट्री स्कूल, न्यूयॉर्क से पढ़ाई की। रतन टाटा ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री और फिर हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री प्राप्त की। ये सभी संस्थान उनके ज्ञान और नेतृत्व कौशल को निखारने में महत्वपूर्ण रहे।

टाटा समूह का चेयरमैन बनना

1991 में रतन टाटा को 21 साल की उम्र में टाटा समूह का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। उस समय टाटा समूह की स्थिति को लेकर कई चुनौतियां थीं। लेकिन रतन टाटा ने अपने नेतृत्व में समूह को एक नई दिशा दी। उन्होंने टेटली टी, जगुआर लैंड रोवर और कोरस जैसे प्रतिष्ठित ब्रांडों के अधिग्रहण सहित विविध क्षेत्रों में विस्तार किया। उनके कार्यकाल के दौरान, टाटा समूह ने कई अभिनव उत्पादों का विकास किया और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में मजबूती से खड़ा रहा। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह का कारोबार 100 से अधिक देशों में फैल गया।

देश की सबसे सस्ती कार: टाटा नैनो

रतन टाटा की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि टाटा नैनो का निर्माण था। एक दिन, वे मुंबई की भारी बारिश में एक परिवार को बाइक पर भीगते हुए देखकर बहुत दुखी हुए। उन्होंने सोचा कि कितना अच्छा होगा अगर एक सामान्य परिवार को सुरक्षित और किफायती परिवहन मिल सके। अगले ही दिन, उन्होंने अपने इंजीनियरों से इस विचार पर काम करने को कहा। 2008 में टाटा नैनो लॉन्च की गई, जो उस समय की सबसे सस्ती कार थी। हालांकि, बाजार में इसे अपेक्षित सफलता नहीं मिली और इसकी बिक्री में कमी आई, जिसके कारण 2020 में इसका उत्पादन बंद कर दिया गया। फिर भी, टाटा नैनो का निर्माण एक साहसिक प्रयास था, जिसने उद्योग में किफायती कारों की अवधारणा को जन्म दिया।

सफलता की कहानियाँ पढ़ना पसंद था

रतन टाटा एक पुस्तक प्रेमी थे। उन्हें विशेष रूप से प्रेरणादायक आत्मकथाएँ और सफलता की कहानियाँ पढ़ना पसंद था। उन्होंने एक बार कहा था कि सेवानिवृत्ति के बाद वे पढ़ाई के लिए अधिक समय निकालेंगे। उनकी व्यक्तिगत आदतों की एक खास विशेषता यह थी कि वे बातचीत में कम रुचि रखते थे। कारों के प्रति उनका प्रेम भी जगजाहिर था। उन्होंने कहा कि उन्हें पुरानी और नई दोनों तरह की कारों का शौक था। यह उनकी जीवनशैली का अहम हिस्सा था।

शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास

रतन टाटा को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) शामिल हैं। इसके अलावा, उन्हें कई अन्य सम्मान भी मिले, जो उद्योग और समाज में उनके योगदान को दर्शाते हैं। उनकी विरासत उद्योग तक ही सीमित नहीं है; रतन टाटा ने समाज सेवा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कई धर्मार्थ संस्थाएँ और सामाजिक सेवा संगठन स्थापित किए, जिनका उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास में सुधार लाना है। रतन टाटा का जीवन हमें सिखाता है कि कठिनाइयों के बावजूद अगर हम अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहें, तो सफलता निश्चित है। उनका नेतृत्व, दूरदर्शिता और उदारता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। आज वे न केवल एक सफल उद्योगपति हैं, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा है। उनके योगदान ने न केवल टाटा समूह को मजबूत किया, बल्कि भारतीय उद्योग को एक नई पहचान भी दिलाई।

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