सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को आदेश, बोला- बांग्लादेश डिपोर्ट की गई गर्भवती महिला को लाओ वापस
सुनाली के पिता भोदू शेख ने दावा किया कि उनका परिवार पिछले 20 साल से पश्चिम बंगाल और दिल्ली में रह रहा है और सभी भारतीय नागरिक हैं, इसी आधार पर उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
सुप्रीम कोर्ट ने मानवीय आधार पर केंद्र सरकार को सख्त निर्देश जारी किया है कि बांग्लादेश डिपोर्ट की गई गर्भवती महिला सोनाली खातून और उसके 8 वर्षीय बेटे सबीर हैदर को तत्काल भारत वापस लाया जाए।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें बांग्लादेश डिपोर्ट किए गए परिवार को वापस भारत लाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि इंसानियत कानून से बड़ी है और कभी-कभी कानून को इंसानियत ने आगे झुकना पड़ता है।
मामले की पूरी पृष्ठभूमि
यह मामला तब शुरू हुआ जब सोनाली खातून को अवैध प्रवासी बताकर दिल्ली से उठाकर बांग्लादेश भेज दिया गया था। सुनाली के पिता भोदू शेख ने दावा किया कि उनका परिवार पिछले 20 साल से पश्चिम बंगाल और दिल्ली में रह रहा है और सभी भारतीय नागरिक हैं, इसी आधार पर उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जहां कोर्ट ने केंद्र के फैसले को गैर-कानूनी करार देते हुए चार हफ्तों में महिला समेत छह लोगों को वापस लाने का आदेश दिया।
केंद्र ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन शीर्ष अदालत ने मानवीयता का हवाला देते हुए केंद्र के आश्वासन पर मुहर लगाई। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि गर्भवती महिला को अस्पताल में निगरानी में रखा जाए और जिला चिकित्सा अधिकारी स्वास्थ्य रिपोर्ट दाखिल करें।
कोर्ट के मुख्य निर्देश और केंद्र का जवाब
केंद्र सरकार ने कोर्ट को सूचित किया कि सोनाली को वापस लाकर सर्विलांस में रखा जाएगा, मेडिकल मदद दी जाएगी तथा राज्य प्राधिकरण इलाज का खर्च वहन करेंगे।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि महिला और उसके बेटे को सरकारी प्रक्रिया से बांग्लादेश भेजा गया था, इसलिए सरकार का रुख लिखित में रिकॉर्ड करना जरूरी है, ताकि तुरंत कूटनीतिक काम शुरू हो सके। इस पर कोर्ट ने इसे अपने आदेश में शामिल कर लिया।
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