हिमाचल प्रदेश की नदी घाटियों में 2023-24 में 12.72 फीसदी घटा बर्फ आवरण

 हिमाचल प्रदेश में चिनाब, ब्यास, रावी और सतलुज नदी घाटियों में 2023-24 में बर्फबारी के मौसम के दौरान बर्फ आवरण में 12.72 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी जबकि 2022-23 में बर्फ आवरण 14.25 प्रतिशत कम रहा था। शुक्रवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी गयी। बर्फ आवरण, एक ऐसा क्षेत्र है जो बर्फ से ढका होता है।

Jul 12, 2024 - 17:54
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हिमाचल प्रदेश की नदी घाटियों में 2023-24 में 12.72 फीसदी घटा बर्फ आवरण
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 हिमाचल प्रदेश में चिनाब, ब्यास, रावी और सतलुज नदी घाटियों में 2023-24 में बर्फबारी के मौसम के दौरान बर्फ आवरण में 12.72 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी जबकि 2022-23 में बर्फ आवरण 14.25 प्रतिशत कम रहा था। शुक्रवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी गयी।

बर्फ आवरण, एक ऐसा क्षेत्र है जो बर्फ से ढका होता है।

बयान में एक अध्ययन के हवाले से कहा गया कि वर्ष 2023-24 के सर्दियों के महीनों (अक्टूबर से नवंबर) की शुरुआत के दौरान चिनाब, ब्यास और सतलुज घाटियों में बर्फ आवरण में कमी देखी गयी जबकि रावी घाटी में मामूली वृद्धि दर्ज की गयी। रावी घाटी में मामूली वृद्धि एक सकारात्मक प्रवृत्ति को दर्शाती है।

हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद (एचआईएमसीओएसटीई) के तत्वावधान में ‘स्टेट सेंटर ऑन क्लाइमेट’ चेंज द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, सर्दियों के महीनों में जब ठंड सबसे ज्यादा थी तब भी सभी घाटियों में बर्फ आवरण में गिरावट दर्ज की गयी थी।

अध्ययन के मुताबिक, जनवरी 2024 के दौरान सतलुज घाटी में बर्फ आवरण में 67 प्रतिशत, रावी में 44 प्रतिशत, ब्यास में 43 प्रतिशत और चिनाब में 42 प्रतिशत कमी दर्ज की गयी।

हालांकि फरवरी में सभी घाटियों में बर्फ आवरण में सकारात्मक रुझान देखा गया और यह मार्च 2024 तक जारी रहा।

एचआईएमसीओएसटीई के निदेशक सह सदस्य सचिव डीसी राणा ने बताया कि विश्लेषण के आधार पर यह पाया गया कि 2023-24 में चिनाब बेसिन में 15.39 प्रतिशत, ब्यास में 7.65 प्रतिशत, रावी में 9.89 प्रतिशत और सतलुज में 12.45 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी।

उन्होंने बताया कि बर्फ आवरण में कुल गिरावट 12.72 प्रतिशत दर्ज की गयी।

राणा ने बताया, “हमारे पास राज्य भर में संचालित विभिन्न वेधशालाओं से सर्दियों के मौसम के दौरान हुई कुल बर्फबारी के बारे में जानकारी है लेकिन इसकी स्थानिक सीमा दर्शाती है कि कितना क्षेत्र बर्फ के नीचे ढका है इसका पता नहीं लगाया जा सकता। अब उपग्रह डेटा का उपयोग कर अक्टूबर से अप्रैल तक सर्दियों के मौसम के दौरान बर्फ से ढके क्षेत्र की भौगोलिक सीमा का मानचित्रण करना संभव हो गया है।”

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