भूखमरी से हुई थी भाई की मौत, दुनिया के सबसे ताकतवर नेता कैसे बने पुतिन ?
1990 में केजीबी से रिटायर होने के बाद पुतिन ने राजनीति में कदम रखा और जल्दी ही सेंट पीटर्सबर्ग के मेयर के करीबी बन गए।
व्लादिमीर पुतिन का जन्म 7 अक्टूबर 1952 को रूस के लेनिनग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग) में हुआ था। उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था, उनकी मां मारिया इवानोव्नाएक फैक्ट्री में मजदूर थीं और पिता व्लादिमीर स्पिरिडोनोविच सोवियत नेवी में सेवा करते थे। पुतिन के दादा सोवियत नेता व्लादिमीर लेनिन और जोसेफ स्टालिन के चीफ शेफ रह चुके थे।
शुरू के दिन में पुतिन के परिवार की आर्थिक हालत
राष्ट्रपति पुतिन अपने माता-पिता की इकलौती जिंदा संतान हैं। वर्ल्ड वॉर-2 के दौरान सोवियत यूनियन के लेनिनग्राद शहर को जर्मन सेना द्वारा इतनी ताबड़तोड़ बमबारी की गई कि यह शहर पूरी तरह से तबाह हो गया था जिस कारण यहां भूखमरी जैसे हालात पैदा हो गए थे और बच्चों को इस गंभीर परिस्थिति से बचाने के लिए अनाथालय भेजा जा रहा था जिसमें पुतिन के भाई विक्टर को भी भेजा गया था, लेकिन वहां पर उसकी मौत हो गई थी, और परिवार को यह भी पता नहीं चल पाया कि उसे कहां दफनाया गया है।
पुतिन की एयरहोस्टेस ल्यूडमिला ओचेरत्नाया (तलाकशुदा बीवी) से मुलाकात
पुतिन बचपन से ही सीक्रेट एजेंट बनना चाहते थे। पुतिन ने लेनिनग्राद स्टेट यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री प्राप्त की और बाद में उन्होंने 23 साल की उम्र में रूस की खुफिया एजेंसी KGB जॉइन भी कर ली। इसी बीच उनकी मुलाकात एयरहोस्टेस ल्यूडमिला ओचेरत्नाया से हुई जिसके बाद दोनों में नजदीकियां बढ़ने लगी और दोनों ने 1983 में शादी कर ली, लेकिन उनकी यह शादी सिर्फ 30 साल तक ही चली और 2013 में पुतिन ने बताया कि वो और ल्यूडमिला अलग हो गए हैं। दोनों की तालाक की वजह पुतिन का राजनीति में व्यस्त होना बताया जाता है।
पुतिन ने सोवियत के खुफिया एजेंसी केजीबी में 15 साल तक सेवा दी, उन्होंने अपनी खुफिया सेवाओं के दौरान छह साल जर्मनी में भी काम किया। 1990 में केजीबी से रिटायर होने के बाद पुतिन ने राजनीति में कदम रखा और जल्दी ही सेंट पीटर्सबर्ग के मेयर के करीबी बन गए।
पुतिन की राजनीतिक शुरुआत
1996 में वे मॉस्को चले गए, जहां उन्होंने राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के विश्वासपात्र के रूप में अपनी जगह बनाई। 1998 में उन्हें रूस की घरेलू खुफिया एजेंसी एफएसबी का प्रमुख बनाया गया। 1999 में येल्तसिन ने पुतिन को प्रधानमंत्री नियुक्त किया और उसी वर्ष 31 दिसंबर को उन्होंने राष्ट्रपति का कार्यवाहक पद संभाला। मार्च 2000 में पुतिन को पूर्ण राष्ट्रपति चुना गया। सत्ता में आने के बाद उन्होंने भ्रष्टाचार खत्म करने और रूस को फिर से एकजुट करने के लिए कार्य किए। उन्होंने 89 रीजन में बिक्षिप्त रूस को 7 संघीय प्रांतों में बदल दिया और मीडिया व व्यापार के प्रभाव को सरकार से नियंत्रित किया।
पुतिन का राजनीतिक सफर
पुतिन के शासनकाल में, उन्होंने चेचेन विद्रोहियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की और रूस को फिर से विश्व शक्ति के रूप में स्थापित किया। उन्हें रूस का मजबूत और प्रभावशाली नेता माना जाता है, जिसने अपने बचपन की गरीबी और कठिनाइयों को पार करते हुए सोवियत संघ के खुफिया अधिकारी से रूस के सबसे शक्तिशाली राष्ट्रपति बनने तक का सफर तय किया। पुतिन पर विपक्षी नेताओं की उत्पीड़न की भी आलोचना होती रही है। वे 1999 से 2008 तक और फिर 2012 से लगातार रूस के राष्ट्रपति पद पर बने हुए हैं, और उनके शासन ने रूस की वैश्विक स्थिति को मजबूती प्रदान की है।
इस प्रकार, रूस के वर्तमान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का जीवन गरीबी से शुरू होकर विश्व की एक मुख्य राजनीतिक शख्सियत तक का प्रेरणादायक सफर है। उनके बचपन के अनुभवों, केजीबी में बिताए वर्षों, और राजनीतिक कौशल ने उन्हें रूस का प्रभावशाली नेता बनाया है, जो विश्व राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उनकी कहानी मेहनत, दृढ़ता एवं रणनीति का उदाहरण है जिससे आज विश्व उन्हें एक मजबूत और विवादास्पद नेता के तौर पर पहचानता है।
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