Punjab : जालंधर में रचा इतिहास, खासला नार्विच ने पहले सिख मेयर बन किया टैक्स घटाने और मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने का वादा
जालंधर के रहने वाले स्वर्णजीत सिंह खालसा नॉर्विच के पहले मेयर बने। उन्होंने मंगलवार रात करीब 12:00 बजे शपथ ली।
पंजाब के जालंधर के रहने वाले स्वर्णजीत सिंह खासला नॉर्विच शहर के इतिहास के पहले सिख मेयर बन गए हैं। उन्होंने मंगलवार की रात करीब 12 बजे मेयर के पद की शपथ ली। समारोह में उनके साथ पत्नी गुंटास कौर, बेटी सूही कौर और बेटे अमन मौजूद रहे। नॉर्विच सिटी हॉल में उन्हें लेफ्टिनेंट गवर्नर सुजैन बायसिविक्ज़ ने शपथ दिलाई। इस मौके पर गवर्नर नेड लेमोंट और पूर्व मेयर बेन लैथ्रोप भी उपस्थित रहे।
शपथ लेने के बाद खासला ने कहा कि नॉर्विच का समग्र विकास उनकी पहली प्राथमिकता होगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि शहर के शिक्षा तंत्र को और मजबूत बनाया जाएगा, ताकि हर बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सके। स्वर्णजीत ने यह भी कहा कि उनकी योजना में टैक्स में राहत देना, नॉर्विच की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना और शहर में मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को वापस लाना शामिल है। विकास के लिए खासला पहले ही पंजाबियों और अन्य समुदायों को शहर में निवेश और काम करने के लिए आमंत्रित कर चुके हैं।
शपथ ग्रहण समारोह के लिए खासला ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्टर साझा कर लोगों को आमंत्रित किया। समारोह में स्थानीय नागरिकों और सिख समुदाय के बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और मेयर बनने पर उन्हें बधाई दी। साथ ही, इस कार्यक्रम में 6 काउंसलर्स और शिक्षा बोर्ड के 9 सदस्य भी शपथ लेने के लिए उपस्थित रहे।
जालंधर से अमेरिका तक की यात्रा
स्वर्णजीत सिंह खासला 18 साल पहले जालंधर से अमेरिका गए थे। वे कनेक्टिकट राज्य में डेमोक्रेट पार्टी के मेयर चुनाव में विजयी हुए और अमेरिका में पहले सिख मेयर बने। इससे पहले वे दो बार काउंसलर भी रह चुके हैं। नॉर्विच में सिर्फ 10 सिख परिवार रहते हैं, लेकिन स्थानीय मुद्दों को उठाने और समुदाय के समर्थन से उन्होंने यह जीत हासिल की।
उनके जीतने के पीछे सिख कम्युनिटी के साथ-साथ अमेरिकी नागरिकों का भी विशेष योगदान रहा। पेशे से इंजीनियर खासला ने नॉर्विच में रहते हुए स्थानीय समस्याओं और समाजिक मुद्दों को उठाकर राजनीति में अपनी पहचान बनाई।
वोटिंग में नज़दीकी मुकाबला
मेयर चुनाव में खासला को 2458 वोट मिले, जबकि उनके मुख्य प्रतिद्वंदी ट्रेसी गोल्ड को 2250 वोट ही मिले। उनके जीतने के बाद परिजनों और स्थानीय संगठनों ने घर पहुंचकर उन्हें बधाई दी। खालसा का पारिवारिक और राजनीतिक बैकग्राउंड भी काफी मजबूत रहा है। उनके दादा इंदरपाल सिंह खालसा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के सदस्य रहे हैं, जबकि उनके परिवार के अन्य सदस्य भी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति और शिरोमणि अकाली दल से जुड़े रहे हैं। खासला 9/11 आतंकी हमले के बाद सिख समुदाय के मुद्दों को उठाने के कारण लाइमलाइट में आए थे और उसके बाद उन्होंने नॉर्विच में समुदाय के हितों की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई।
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