हरियाणा के इस जिले में बढ़ रहा प्रदूषण, AQI 238 दर्ज

इसके चलते जिला नागरिक अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञों की ओपीडी भी बढ़ गई है। दरअसल, पराली जलाने और बड़ी फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं का असर आबोहवा पर पड़ रहा है। 

Oct 26, 2024 - 11:56
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हरियाणा के इस जिले में बढ़ रहा प्रदूषण, AQI 238 दर्ज
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हवा में प्रदूषण का स्तर लगातार घट-बढ़ रहा है। शुक्रवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 238 दर्ज किया गया, जो गुरुवार को 160 के आसपास था। वहीं, हवा में हल्का कोहरा छाए रहने से आंखों में जलन भी बढ़ गई है। इसके चलते जिला नागरिक अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञों की ओपीडी भी बढ़ गई है। दरअसल, पराली जलाने और बड़ी फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं का असर आबोहवा पर पड़ रहा है। 

गौरतलब है कि 0-50 AQI स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है, 51-100 एक्यूआई का मतलब संवेदनशील लोगों के लिए हल्की सांस लेने की समस्या, 101-200 एक्यूआई का मतलब फेफड़े, अस्थमा और हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए सांस लेने की समस्या, 201-300 एक्यूआई लंबे समय तक संपर्क में रहने वाले अधिकांश लोगों के लिए सांस लेने की समस्या, 301-400 एक्यूआई बहुत खराब (लंबे समय तक संपर्क में रहने पर सांस की बीमारी का खतरा), 400-500 एक्यूआई बेहद गंभीर है जो स्वस्थ लोगों को भी प्रभावित करता है और सांस की बीमारियों वाले लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

पराली जलाने के 131 मामले सामने आए

हालांकि कैथल जिले में पराली जलाने के 131 मामले सामने आए हैं। शुक्रवार को एक स्थान पर पराली जलती हुई पाई गई। डॉक्टरों के अनुसार जिला नागरिक अस्पताल की ओपीडी के नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास 200 से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें से ज्यादातर आंखों में जलन और एलर्जी के मरीज हैं। इस समय मौसम में हल्का कोहरा छाया हुआ है, यह कोहरा प्रदूषण के कारण माना जा रहा है। हालांकि अब हल्की ठंड भी पड़ने लगी है। इसके कारण सुबह और शाम का तापमान भी गिर रहा है।

सांस और अस्थमा के मरीज घर से बाहर न निकलें

बढ़ते एक्यूआई को देखते हुए सांस और अस्थमा के मरीज ज्यादा देर तक घर से बाहर न निकलें। अगर बाहर जाना ही पड़े तो मास्क का प्रयोग करें, ताकि बढ़ते प्रदूषण का आपके स्वास्थ्य पर ज्यादा असर न पड़े।

सुबह और शाम की सैर से बचें: सचिन

सिविल अस्पताल के डॉक्टर सचिन मांडले ने बताया कि कैथल की आबोहवा अभी भी बेहद खराब श्रेणी में है। ऐसे में बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण सांस और एलर्जी के मरीजों के लिए खतरनाक है। अभी भी बुजुर्गों को सुबह और शाम की सैर से बचना चाहिए।

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