पुलिस कर्मी अनूठी पहल, बिना दहेज बेटे की शादी, खुद उठाया पूरा खर्च

आमतौर पर पुलिस कर्मचारियों को उनके कठोर रवैये तथा किसी भी मामले में पैसे लेकर काम करने वाला माना जाता है। हालांकि समय के साथ जनता की इस सोच और पुलिस कर्मियों की कार्यप्रणाली में भी बदलाव आया है।

Jan 12, 2025 - 13:43
Jan 12, 2025 - 13:44
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पुलिस कर्मी अनूठी पहल, बिना दहेज बेटे की शादी, खुद उठाया पूरा खर्च
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चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़ :  आमतौर पर पुलिस कर्मचारियों को उनके कठोर रवैये तथा किसी भी मामले में पैसे लेकर काम करने वाला माना जाता है। हालांकि समय के साथ जनता की इस सोच और पुलिस कर्मियों की कार्यप्रणाली में भी बदलाव आया है। इन सबके बावजूद हरियाणा के दबंग मंत्री अनिल विज के पीएसओ अंबाला निवासी सुरेंद्र ने एक ऐसा कार्य किया, जिसकी भ्रष्टाचार को सहन नहीं करने वाले हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन व श्रम मंत्री अनिल विज ने तारीफ की, बल्कि पूरे क्षेत्र के लोग भी उनकी तारीफ कर रहे हैं।
 

खुद लाखों खर्चे, नहीं लिया एक रुपया

सुरेंद्र ने अपने पुत्र रविकांत का विवाह गुहला चीका निवासी बलबीर की पुत्री कविता के साथ किया। इस विवाह समारोह के लिए सुरेंद्र ने लाखों रुपए खर्च किए। परिवार में होने वाले रीति-रिवाज के अलावा गुहला चीका तक बारात को भी पूरे हर्षोल्लास के साथ ले जाने का कार्य किया। विवाह समारोह में खुद लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद सुरेंद्र ने अपनी पुत्रवधू के परिवार से दान दहेज के रूप में एक रुपया तक नहीं लिया। सुरेंद्र की इस पहल की पूरे इलाके में चर्चा और तारीफ हो रही है।
 

हेलीकॉप्टर की इच्छा नहीं हो पाई पूरी

सुरेंद्र की इच्छा थी कि वह अपने परिवार की नई सदस्य और पुत्रवधू कविता को उसके घर (ससुराल) हेलीकॉप्टर से लेकर आए। इसके लिए सुरेंद्र ने हिसार की एक कंपनी से हेलीकॉप्टर भी बुक किया था, लेकिन मौसम की खराबी के चलते हेलीकॉप्टर में अपनी नई बेटी को घर लाने का उनका सपना पूरा नहीं हो पाया। इसके बावजूद उन्होंने अपनी बेटी समान पुत्रवधू के स्वागत में कोई कमी नहीं छोड़ी। 

बेटी के रूप में सब कुछ मिल गया

सुरेंद्र ने बताया कि बेटे के विवाह को लेकर उनके काफी अरमान थे। हालांकि हेलीकॉप्टर में दूल्हन को घर लाने का उनका सपना पूरा नहीं हो पाया, लेकिन फिर भी वह अपने परिवार की नई सदस्य को घर लाकर काफी खुश है। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति ने अपनी बेटी को उन्हें सौंप दिया, उससे बड़ा दान कुछ नहीं हो सकता। वह भी कविता को अपनी बहू नहीं, बल्कि बेटी बनाकर ही परिवार में रखेंगे। एक बेटी के रूप में मानों उन्हें सब कुछ मिल गया। इंसान की कीमत रुपयों से नहीं, बल्कि उसके संस्कारों से लगाई जाती है। इसलिए उन्होंने दान दहेज की परंपरा से दूर रहने का प्रण लिया।

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