बॉर्डर खोल दो, हमें बचा लो…’ बांग्लादेश में फंसे हिंदुओं की भारत से दर्द भरी अपील
बांग्लादेश इस समय हिंसा की आग में पूरी तरह झुलस रहा है। यहां पर कट्टरपंथियों ने यहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं को परेशान कर रखा है। हालिया घटना में भी देखें तो यहां बेहद ही निर्मम तरीके से दीपू चंद्र दास और अमृत मंडल की हत्या कर कट्टरपंथी अपनी ताकत बता रहे हैं
बांग्लादेश इस समय हिंसा की आग में पूरी तरह झुलस रहा है। यहां पर कट्टरपंथियों ने यहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं को परेशान कर रखा है। हालिया घटना में भी देखें तो यहां बेहद ही निर्मम तरीके से दीपू चंद्र दास और अमृत मंडल की हत्या कर कट्टरपंथी अपनी ताकत बता रहे हैं। इसे देखते हुए पूरे बांग्लादेश में तमाम हिंदू जो वहां रह रहे हैं उनमें डर का माहौल है, और अब वो सभी मिलकर भारत से गुहार लगा रहे हैं... और कह रहे हैं कि 'बॉर्डर खोल दो और हमें बचा लो'
क्या कह रहे हैं बांग्लादेश के हिंदू ?
वहां पर रह रहे हिंदू अपनी आपबीती जिस तरह से बता रहे हैं उसे सुनकर सबकी आंखें नम हो सकती है। वहां पर रहे रहे लोग अपनी परेशानी बताते हुए कहते हैं कि
अगर वह किसी गली या सड़क से गुजरते हैं तो उन्हे कई तरह के अपशब्द कहे जाते हैं और यह अपशब्द ऐसे होते हैं कि अगर किसी ने इसके खिलाफ आपत्ति जताई तो
उसे वहीं पर मारा भी जा सकता है, और ऐसी कई घटनाएं है जो इस समय बांग्लादेश में घट रही है।
भविष्य को लेकर बढ़ती चिंता
वहीं वर्तमान की घटनाओं को देखें और भविष्य की तरफ गौर करें तो भविष्य में भी इस तरह की घटनाएं और भी ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है, और ऐसा इसलिए क्योंकि यहां पर पूर्व राष्ट्रपति खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान ने 15 साल बाद वापसी की है और यह सीधा-सीधा ऐलान कर दिया है कि अगर उनकी पार्टी बीएनपी सत्ता में आई तो हिन्दुओं पर उत्पीड़न और भी बढ़ सकता है, इसलिए यहां के हिन्दूओं की भविष्य को लेकर चिंताएं और भी ज्यादा बढ़ जाती है। वहीं अगर हम इतिहास पर गौर करें तो बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी ही एक ऐसी पार्टी रही है जो कि जो कि यहां के हिंदुओं की सुरक्षा के लिए काम कर चुका है। बाकी पार्टियों पर यहां के हिंदू भरोसा नहीं कर सकते हैं।
‘हम नरसंहार की ओर बढ़ रहे हैं’
सनातन जागरण मंच के एक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि बांग्लादेश में करीब 25 लाख हिंदू रहते हैं और इस संख्या को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत में कई हिंदू संगठन सिर्फ दिखावे की राजनीति कर रहे हैं, जबकि जमीनी स्तर पर मदद नदारद है। उनके अनुसार, मौजूदा हालात अगर नहीं बदले तो यह एक बड़े नरसंहार हो सकते है।
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