महाकुंभ में महामण्डलेश्वरों और शंकराचार्यों ने निकाली पेशवाई
महाकुंभ का आयोजन उन पवित्र नदियों के संगम पर होता है, जिन्हें हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां स्नान करने से भक्तों को जन्मों के पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है।
संगमनगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ में जबरदस्त रौनक देखने को मिल रही है। महाकुंभ के मुख्य अमृत स्नान के पहले प्रयागराज में बाबाओं का जमवाड़ा लग चुका है। वहीं अखाड़ों के छावनी प्रवेश के बाद अब महामण्डलेश्वरों और शंकराचार्यों के पेशवाई निकाली जा रही रही है। यह पेशवाई शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती की ओर से निकाली गई है।
महाकुंभ में पहली बार विंटेज कार बाबाओं की पहली पसंद देखने को मिल रही है। दुल्हन की तरह सजाई गई कार में साधु संत सवार हो कर संगम नगरी में प्रवेश कर रहे हैं। प्रयागराज में छावनी प्रवेश को दिव्य और भव्य बनाने के लिए बैंड बाजे और नाच-गाने के साथ बाबाओं की पेशवाई निकाली गई।
महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू होने जा रहा है। यह मेला 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होगा। महाकुंभ हर 12 साल में एक बार होता है और इसे धार्मिक आस्था का सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है। इस बार के महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए जुटेंगे।
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ का आयोजन उन पवित्र नदियों के संगम पर होता है, जिन्हें हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां स्नान करने से भक्तों को जन्मों के पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है। विशेषकर पौष पूर्णिमा के दिन, जो कि 13 जनवरी को है, पहले शाही स्नान का आयोजन किया जाएगा। इस दिन स्नान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है
What's Your Reaction?