UN में भारत ने कर दी पाकिस्तान की सिट्टी-पिट्टी गुम, जानें क्या है मामला

बार-बार जम्मू-कश्मीर का राग अलापने से भारत का यह अभिन्न हिस्सा पाकिस्तान का नहीं हो जाएगा, पार्वथानेनी ने साफ लहजे में कहा कि जम्मू-कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा।

Mar 15, 2025 - 09:30
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UN में भारत ने कर दी पाकिस्तान की सिट्टी-पिट्टी गुम, जानें क्या है मामला
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India In UN : संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने शुक्रवार (14 मार्च) को जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तानी दावों और बयानों की कड़ी आलोचना की, उन्होंने यह भी कहा कि बार-बार जम्मू-कश्मीर का राग अलापने से भारत का यह अभिन्न हिस्सा पाकिस्तान का नहीं हो जाएगा, पार्वथानेनी ने साफ लहजे में कहा कि जम्मू-कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा।

दुनिया भर में इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने के लिए आयोजित संयुक्त राष्ट्र की बैठक में पार्वतानेनी ने पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के हालिया बयान पर भारत की प्रतिक्रिया पढ़ते हुए। उन्होंने कहा, 'हमेशा की तरह अपनी आदत के मुताबिक, पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव ने आज एक बार फिर भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का बेवजह संदर्भ दिया, बार-बार जम्मू-कश्मीर की बात निकालने से न तो उनका इस इलाके पर दावा मान्य होगा और न ही सीमा पार आतंकवाद को पालन को उचित ठहराया जा सकेगा,' उन्होंने आगे कहा, 'पाकिस्तान की इस तरह की कोशिशें इस वास्तविकता को नहीं बदलेंगे कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा।'

भारत सरकार की ओर से हरिश पार्वथानेनी का यह बयान शुक्रवार को भारत द्वारा पाकिस्तान के उन आरोपों को खारिज करने के बाद आया, जिसमें पाकिस्तान ने अपने यहां ट्रेन हाईजैक में भारत की भूमिका बताई थी, भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि दुनिया अच्छी तरह से जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का असली केंद्र कहां है।

'भारत सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी में से एक'
हरीश पार्वथानेनी ने UN सत्र में बताया, 'भारत विविधता और बहुलवाद की धरती है, भारत में 20 करोड़ से ज्यादा मुस्लिम है और यह दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी में से एक है। भारत मुसलमानों के खिलाफ धार्मिक असहिष्णुता की घटनाओं की निंदा करने में यूएन के सदस्य के तौर पर एकजुट है।' हरीश ने यह भी कहा कि धार्मिक भेदभाव, घृणा और हिंसा से मुक्त दुनिया को बढ़ावा देना भारत के लिए हमेशा से ही जीवन जीने का एक तरीका रहा है।

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