पंजाब में प्रवासी मजदूरों के खिलाफ घृणा अभियान, प्रदेश से निकालने की उठी मांग
खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार से आए प्रवासी मजदूरों को गांवों में काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही है
पंजाब में प्रवासी मजदूरों के पंजीकरण को लेकर प्रशासन की लापरवाही अब गंभीर खतरे का रूप ले रही है, हाल ही में होशियारपुर में मासूम की निर्मम हत्या और जालंधर में प्रवासी मजदूर द्वारा बच्चे को अगवा करने की कोशिश ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है।
कानून के मुताबिक प्रदेश में किसी भी क्षेत्र में काम करने वाले हर प्रवासी मजदूर का नजदीकी पुलिस थाने में पंजीकरण अनिवार्य है। इसके लिए पहचान पत्र, निवास प्रमाण और मालिक या ठेकेदार का विवरण देना जरुरी है, ये प्रक्रिया पूरी तरह नि:शुल्क है। लेकिन जमीनी स्तर पर इस नियम का पालन बेहद ढीला है, जिसकी वजह से आपराधिक प्रवृत्ति के लोग आसानी से छुपकर अपराधों को अंजाम दे रहे हैं, जिसको लेकर पंजाब में इन दिनों सोशल मीडिया पर बाहरी राज्यों से आए इन मजदूरों के खिलाफ घृणा अभियान चलाया जा रहा है, जिनमें मेहनती मजदूरों की छवि को अपराधिक बना कर पेश किया जा रहा है।
इन मजदूरों के खिलाफ विषवमन करने वालों में कनाडा, अमेरिका, इटली, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया में बैठे अलगाववादी लोग सबसे आगे हैं, इसी के चलते पंजाब में प्रवासी मजदूरों के साथ हो रहे दुव्र्यवहार की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है।
खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार से आए प्रवासी मजदूरों को गांवों में काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही है, साथ ही बठिंडा के एक गांव की पंचायत ने अनोखा फरमान भी सुनाया है जिसके तहत कोई भी प्रवासी मजदूर गांव में कोई घर या जमीन नहीं खरीद सकेंगे, साथ ही गांव में आए प्रवासी सिर्फ खेत की मोटर पर ही रह सकेंगे।
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