हरियाणा में चौथी बार समय से पहले भंग हुई विधानसभा, जानिए पहले किस मुख्यमंत्री ने क्यों करवाई थी विधानसभा भंग ?
हरियाणा में नायब कैबिनेट की सिफारिश पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने 12 सितंबर को विधानसभा भंग कर दी। हालांकि नई सरकार का गठन होने तक नायब सिंह सैनी कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर कार्य करते रहेंगे।
चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़ : हरियाणा में नायब कैबिनेट की सिफारिश पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने 12 सितंबर को विधानसभा भंग कर दी। हालांकि नई सरकार का गठन होने तक नायब सिंह सैनी कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर कार्य करते रहेंगे। इस दौरान वह कोई संवैधानिक फैसला नहीं सकते। हालांकि समय से पहले विधानसभा भंग होने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी तीन बार हरियाणा विधानसभा को समय से पहले भंग किया जा चुका है।
पहले भी हो चुकी विधानसभा भंग
प्रदेश में यह चौथा मौका है जब विधानसभा को भंग किया गया है। 1972 में बंसीलाल सरकार ने एक साल पहले विधानसभा भंग करके चुनाव करवाए थे। इसके बाद जुलाई-1999 में चौटाला सरकार ने अपने पक्ष में माहौल को भांपते हुए विस भंग करके समय पूर्व चुनाव करवाए। इससे पहले बंसीलाल की सरकार भाजपा द्वारा समर्थन वापसी से अल्पमत में आ गई थी। कांग्रेस ने समर्थन दिया लेकिन वापस भी ले लिया। ऐसे में बंसीलाल की सरकार गिर गई। इसी तरह से 2009 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने केंद्र में डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में दूसरी बार यूपीए सरकार बनने के बाद हरियाणा विधानसभा को छह महीने पहले भंग करके चुनाव करवाए। इस बार विधानसभा समय पूर्व चुनावों के लिए नहीं बल्कि संवैधानिक मजबूरी के चलते भंग हुई है।
विधानसभा भंग करना क्यों जरूरी हुआ ?
बता दें कि संविधान के अनुच्छेद-174 (1) के अनुसार विधानसभा के दो सत्रों के बीच में 6 महीने से ज्यादा का अंतराल नहीं हो सकता। हरियाणा में विधानसभा का पिछला सत्र 13 मार्च 2024 को बुलाया गया था। इसलिए 12 सितंबर 2024 से पहले दूसरा सत्र बुलाना अनिवार्य था। देश के किसी भी राज्य में ऐसी संवैधानिक संकट की स्थिति पहले नहीं आई। इसलिए विधानसभा को समय पूर्व भंग करना संवैधानिक दृष्टि से बाध्यकारी हो गया।'
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