Delhi Election: दिल्ली में कैसी बनी BJP की सराकर? जानिए जीत के प्रमुख 10 फैक्टर

Delhi Election Results 2025: दिल्ली में सत्तारूढ़ आप आदमी पार्टी की हार और 27 साल बाद बीजेपी की सत्ता वापसी हुई है। ऐसे में चलिए आपको बताते हैं वो मुख्य कारण जिनकी वजह से बीजेपी ने दिल्ली से ही अपनी रणनीति से लेकर राजनीति शुरू करने वाली आम आदमी पार्टी का किला ढहा दिया।

Feb 8, 2025 - 15:59
Feb 8, 2025 - 16:39
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Delhi Election: दिल्ली में कैसी बनी BJP की सराकर? जानिए जीत के प्रमुख 10 फैक्टर
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Delhi Election Results 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है और निर्वाचन आयोग के मुताबिक अब तक के रुझानों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी करती दिख रही है। सभी 70 सीटों के रुझान सामने आ चुके हैं, जिनमें भाजपा 41 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) 29 सीटों पर आगे है। इन रुझानों से साफ है कि दिल्ली में अगली सरकार भाजपा की बनने जा रही है। भाजपा ने दिल्ली में आखिरी बार 1993 में जीत दर्ज की थी। ऐसे में चलिए आपको बताते हैं वो मुख्य कारण जिनकी वजह से बीजेपी ने दिल्ली से ही अपनी रणनीति से लेकर राजनीति शुरू करने वाली आम आदमी पार्टी का किला ढहा दिया।


1. भ्रष्टाचार पर भाजपा का हमला

आम आदमी पार्टी की 2021 में लागू की गई नई आबकारी नीति पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। भाजपा ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया और जांच की मांग की, जिसके बाद सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस पर कार्रवाई की। इस मामले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जैसे बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया गया, हालांकि वे फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से निकली आप पार्टी खुद पर लगे आरोपों का प्रभावी तरीके से बचाव नहीं कर पाई, जिससे उसकी छवि को गहरा आघात पहुंचा।

2. ‘शीश महल’ विवाद

भाजपा ने लंबे समय तक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के नवीनीकरण को चुनावी मुद्दा बनाए रखा और इसे "शीश महल" करार दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर कटाक्ष करते हुए कहा, "मैं भी शीश महल बना सकता था, लेकिन मेरा सपना था कि देशवासियों को पक्का घर मिले।" भाजपा ने इसे आम आदमी की छवि वाले केजरीवाल के खिलाफ इस्तेमाल किया और जनता के बीच उनकी विश्वसनीयता को कमजोर किया।

3. दिल्ली की नागरिक सुविधाओं की बदहाली

दिल्ली के कई इलाकों में नागरिक सुविधाओं की हालत खराब रही। आप सरकार ने नगर निगम पर दोष मढ़ा, लेकिन जब निगम चुनाव में भी पार्टी को जीत मिली, तब भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। बजबजाती नालियां, सीवर का गंदा पानी और टूटी-फूटी सड़कों ने जनता को निराश किया। इस असंतोष का फायदा भाजपा को मिला।

4. पीने के पानी की गुणवत्ता पर विवाद

दिल्ली जल बोर्ड की पानी की गुणवत्ता को लेकर भी भाजपा ने आप सरकार को घेरा। अरविंद केजरीवाल ने खुद पानी पीकर शुद्धता का दावा किया, लेकिन भाजपा ने गंदे पानी की तस्वीरें और वीडियो साझा कर यह मुद्दा जनता के बीच प्रभावी ढंग से उठाया। इससे जनता के बीच आप सरकार की छवि को नुकसान हुआ।

5. ‘आप’ को ‘आपदा’ बताने की रणनीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी रैली में आम आदमी पार्टी को "आपदा" कहा, जिसे भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने व्यापक स्तर पर प्रचारित किया। यह नारा मतदाताओं के बीच लोकप्रिय हुआ और भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में मददगार साबित हुआ।

6. भाजपा की दीर्घकालिक रणनीति

भाजपा ने दिल्ली में झुग्गी बस्तियों, दलितों और पिछड़े वर्गों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए लंबे समय तक काम किया। ‘जहां झुग्गी, वहां मकान’ जैसी योजनाओं ने झुग्गी बस्तियों में भाजपा की पकड़ मजबूत की। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले चुनावी कार्यक्रम में इन्हीं मकानों का वितरण किया, जिससे इन तबकों में भाजपा के प्रति समर्थन बढ़ा।

7. आरएसएस का समर्थन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवकों ने पर्दे के पीछे से भाजपा को समर्थन दिया। चुनाव से पहले ही संघ ने जमीनी स्तर पर भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार कर दिया था।

8. मजबूत उम्मीदवारों का चयन

भाजपा ने इस चुनाव में टिकट वितरण में सावधानी बरती और पार्टी के बड़े नेताओं को मैदान में उतारा। प्रवेश वर्मा, रमेश बिधूड़ी और दुष्यंत गौतम जैसे मजबूत प्रत्याशी चुनावी अखाड़े में उतरे, जिससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ा और चुनाव प्रचार को गति मिली।

9. लोकसभा चुनाव की सफलता का प्रभाव

2021 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा ने उस समय से ही दिल्ली में चुनावी माहौल बनाए रखा, जिससे विधानसभा चुनाव में भी उसे लाभ मिला।

10. मध्यवर्ग का झुकाव भाजपा की ओर

सरकार की कर नीति और वेतन आयोग से जुड़े फैसलों ने मध्य वर्ग को भाजपा के पक्ष में मोड़ दिया। आठवें वेतन आयोग की घोषणा और 12 लाख रुपये तक की आय को कर-मुक्त करने की योजना से सरकारी कर्मचारियों और मध्यम वर्ग को राहत मिली। इसका प्रभाव दिल्ली चुनाव में भी दिखाई दिया।

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