डल्लेवाल का अनशन 36वें दिन भी जारी, सुप्रीम कोर्ट पैनल आज करेगा सुनवाई
पंजाब में सोमवार को किसानों ने 9 घंटे के 'पंजाब बंद' ने राज्य की रफ्तार को कुछ समय के लिए थाम दिया। यह बंद किसान संगठनों के आह्वान पर हुआ
पंजाब में सोमवार को किसानों ने 9 घंटे के 'पंजाब बंद' ने राज्य की रफ्तार को कुछ समय के लिए थाम दिया। यह बंद किसान संगठनों के आह्वान पर हुआ, जिसमें किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा गैरराजनीतिक ने प्रमुख भूमिका निभाई। जिनमें KKM और SKM एनपी प्रमुख थे। पंजाब के 12 जिलों में किसानों ने इस बंद का समर्थन किया और शंभू बॉर्डर, खनौरी बॉर्डर पर बैठे किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया। इस बंद ने पंजाब और हरियाणा में कृषि संकट और किसान आंदोलन को एक बार फिर से राजनीतिक और सामाजिक चर्चा का केंद्र बना दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और डल्लेवाल का आमरण अनशन
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन पर सुनवाई करने का निर्णय लिया है। डल्लेवाल पिछले 35 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं और उन्होंने इलाज कराने से इनकार कर दिया है। इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि उसे डल्लेवाल को किसी भी तरह इलाज के लिए मनाना चाहिए। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा था कि यदि आवश्यक हो तो केंद्र से सहायता ली जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट का पैनल और किसानों से बातचीत
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल ने किसानों से वर्चुअल मीटिंग के लिए न्योता भेजा है, जिसमें वे अपनी समस्याओं को पैनल के सामने रख सकते हैं। पैनल का मुख्य उद्देश्य किसानों की समस्याओं को सुनना और शंभू बॉर्डर और अन्य हाइवे से ट्रैक्टर-ट्रॉली हटाने के लिए सुझाव देना है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पैनल के गठन के समय कहा था कि किसानों को विश्वास में लेना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि शांति से इस संकट का समाधान निकाला जा सके। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा था कि किसानों को राजनीतिक दलों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए, ताकि उनका आंदोलन शांतिपूर्वक और प्रभावी रूप से आगे बढ़ सके।
पंजाब की आर्थिक स्थिति और आंदोलन का असर
किसानों के इस आंदोलन और बंद का राज्य की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है। सोमवार को पंजाब में कई स्थानों पर बंद का असर साफ दिखाई दिया। वंदेभारत सहित 172 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया, और 232 ट्रेनें प्रभावित हुईं। इसके अलावा, दुकानें और उद्योगों का बंद होना राज्य के व्यापार और रोजगार पर भी प्रभाव डालता है। किसानों की मांगें सुनने के लिए सरकार के साथ बातचीत जारी है, और सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित पैनल अब 3 जनवरी को किसानों से बातचीत करने वाला है, जो इस आंदोलन के भविष्य को लेकर एक अहम कदम होगा।
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