रजामंदी और लंबे समय से चल रहे फिजिकल रिलेशन को नहीं माना जा सकता रेप : HC
हाईकोर्ट ने दुष्कर्म और जबरन वसूली के आरोपी याचिकाकर्ता की याचिका स्वीकार करते हुए उसके खिलाफ दाखिल चार्जशीट और पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि वयस्क जोड़े के बीच लंबे समय तक सहमति से बनाए गए संबंध को बलात्कार नहीं माना जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने मुरादाबाद दुष्कर्म मामले में याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ''अगर लंबे समय से सहमति से शारीरिक संबंध बनाए जा रहे थे। साथ ही अगर रिश्ते में शुरू से ही धोखाधड़ी का कोई तत्व नहीं है, तो ऐसे संबंध को बलात्कार नहीं माना जाएगा।''
हाईकोर्ट ने दुष्कर्म और जबरन वसूली के आरोपी याचिकाकर्ता की याचिका स्वीकार करते हुए उसके खिलाफ दाखिल चार्जशीट और पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की एकल पीठ ने श्रेय गुप्ता की ओर से CRPC की धारा 482 के तहत दाखिल अर्जी को मंजूर करते हुए दिया।
पूरा मामला समझें?
याचिकाकर्ता श्रेय गुप्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सत्र न्यायाधीश मुरादाबाद की अदालत में लंबित पूरी आपराधिक कार्यवाही और चार्जशीट को रद्द करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता के खिलाफ साल 2018 में मुरादाबाद के महिला थाने में IPC की धारा 376 और 386 के तहत मामला दर्ज किया गया था। आपराधिक कार्यवाही 21 मार्च 2018 को शिकायतकर्ता द्वारा दर्ज कराई गई FIR से शुरू हुई थी। इसमें याचिकाकर्ता पर बलात्कार और जबरन वसूली का आरोप लगाया गया था। याचिका में कहा गया था कि 12 साल से अधिक समय तक सहमति से बने संबंध को केवल शादी करने के वादे के उल्लंघन के आधार पर बलात्कार नहीं माना जा सकता।
महिला ने लगाए ये आरोप
मुरादाबाद की एक महिला ने शिकायत कर आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता ने उसके पति के गंभीर रूप से बीमार होने पर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना शुरू कर दिया। उसने उसके पति की मौत के बाद उससे शादी करने का वादा किया। महिला के पति के गुजर जाने के बाद भी यह रिश्ता चलता रहा, लेकिन याचिकाकर्ता ने आखिरकार 2017 में दूसरी महिला से सगाई कर ली।
जान से मारने की धमकी देकर दुष्कर्म का आरोप
FIR में आरोप लगाया गया है कि याचिकाकर्ता के आश्वासन पर महिला रामपुर दोराहा पहुंची। वहां से याचिकाकर्ता महिला को रामपुर दोराहा के एक गोदाम में ले गया। महिला ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता ने उसके सिर पर बंदूक तान दी और जान से मारने की धमकी दी। फिर उसने उसके साथ दुष्कर्म किया। उसने इसकी वीडियो क्लिपिंग भी तैयार कर ली। इसके बाद याचिकाकर्ता ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया। उसने उसे धमकी दी कि अगर उसने इस घटना के बारे में किसी को बताया तो उसकी वीडियो क्लिप इंटरनेट पर अपलोड कर दी जाएगी।
50 लाख मांगने का आरोप
महिला ने यह भी आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता ने उससे 15 दिन के अंदर 50 लाख रुपये मांगे। उसने उसे यह भी धमकी दी कि अगर उसकी मांग पूरी नहीं हुई तो वह उसके दोनों बेटों को मार देगा। वह वीडियो क्लिप भी सार्वजनिक कर देगा।
व्यक्ति ने दिए ये तर्क
महिला के आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि यह रिश्ता पूरी तरह से सहमति से हुआ था। यह संबंध करीब 12-13 साल तक चला। इस दौरान शिकायतकर्ता का पति भी जीवित था। अदालत ने माना कि दोनों पक्षों की ओर से दी गई दलीलों पर गौर करने के बाद अदालत ने मामले के रिकॉर्ड का बारीकी से अध्ययन किया है। इस मामले में निर्विवाद रूप से स्वीकार्य तथ्य यह है कि मामला दर्ज करने के समय शिकायतकर्ता की उम्र करीब 49 साल थी, जैसा कि धारा 164 CRPC के तहत उसके बयान से स्पष्ट है और वह आवेदक से काफी छोटी थी।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसलों का भी हवाला दिया और कहा कि यह स्पष्ट है कि अगर पक्षकार लंबे समय से सहमति से शारीरिक संबंध बना रहे थे। इसमें शुरू से ही धोखाधड़ी का कोई तत्व नहीं था, तो ऐसे संबंध को बलात्कार नहीं माना जा सकता।
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