बॉम्बे हाई कोर्ट ने बदलापुर एनकाउंटर पर उठाए सवाल, कहा- गड़बड़ी नजर आ रही है

अक्षय के पिता ने इस एनकाउंटर के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर सुनवाई हो रही है। हाईकोर्ट ने एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं। उसका कहना है कि इसमें कुछ अनियमितता नजर आ रही है। हाईकोर्ट को बताया गया कि एनकाउंटर के वक्त अफसर वर्दी में नहीं था। पिस्तौल बाईं तरफ थी। जब वह कार में बैठा था, तो बंदूक लॉक नहीं थी।

Sep 25, 2024 - 13:42
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने बदलापुर एनकाउंटर पर उठाए सवाल, कहा- गड़बड़ी नजर आ रही है
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महाराष्ट्र के बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी अक्षय शिंदे को एनकाउंटर में मार गिराया गया है। अक्षय के पिता ने इस एनकाउंटर के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर सुनवाई हो रही है। हाईकोर्ट ने एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं। उसका कहना है कि इसमें कुछ अनियमितता नजर आ रही है। हाईकोर्ट को बताया गया कि एनकाउंटर के वक्त अफसर वर्दी में नहीं था। पिस्तौल बाईं तरफ थी। जब वह कार में बैठा था, तो बंदूक लॉक नहीं थी।

हाथापाई में जब अक्षय शिंदे ने बंदूक खींची, तो पिस्तौल अनलॉक हो गई। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि इस पर यकीन करना मुश्किल है। इसके लिए ताकत की जरूरत होती है। प्रथम दृष्टया इसमें कुछ अनियमितता नजर आ रही है। आम आदमी पिस्तौल से गोली नहीं चला सकता, क्योंकि इसके लिए ताकत की जरूरत होती है। कमजोर आदमी ऐसा नहीं कर सकता, क्योंकि रिवॉल्वर से गोली चलाना आसान नहीं होता। कोर्ट ने पूछा कि गोली चलाने वाला अफसर किस बैच का था? महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि मुझे कोई जानकारी नहीं है। 

हाईकोर्ट ने क्या सवाल पूछे?

महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि आरोपी के सिर पर गोली दाईं ओर लगी और बाईं ओर से निकल गई। इस पर कोर्ट ने पूछा कि सिर पर गोली क्यों मारी गई, पुलिस प्रशिक्षित होती है। उन्हें पता होता है कि कहां गोली चलानी है, उन्हें हाथ या पैर में गोली मारनी चाहिए थी। पीछे चार पुलिसकर्मी होते हैं, फिर यह कैसे संभव है कि वे एक कमजोर आदमी को नियंत्रित नहीं कर सकते, वह भी कार के पिछले हिस्से में। दो पुलिसकर्मी आगे और दो मृतक के बगल में होते हैं। महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कहा कि उस समय स्थिति ऐसी थी, यही हुआ। कोर्ट ने कहा कि इसे एनकाउंटर नहीं कहा जा सकता। यह एनकाउंटर नहीं है। पुलिस अधिकारी का चोट प्रमाण पत्र दिखाएं, क्या दस्तावेज मानवाधिकार को भेजे गए हैं? इसका जवाब देते हुए सरकार ने कहा कि हां, भेजे गए हैं।

कोर्ट ने पूछा कि क्या उस घटना से संबंधित कोई पुलिस अधिकारी यहां मौजूद है? जिस पर सरकार ने इनकार कर दिया। सरकारी वकील ने कहा कि फिलहाल सीआईडी ​​का एसीपी स्तर का अधिकारी मामले की जांच कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि फोरेंसिक से रिपोर्ट मंगाकर पता लगाएं कि गोली कितनी दूरी से चली। सिर से निकलकर गोली कहां गई? गोली कहां लगी? हथियार की जांच बैलिस्टिक फोरेंसिक एक्सपर्ट से कराई जाए। हमें उम्मीद है कि जांच निष्पक्ष होगी, क्योंकि इसमें पुलिस अधिकारी शामिल हैं और अगर हमें कुछ भी अप्रिय लगता है तो हम कार्रवाई करने को मजबूर होंगे।

'CCTV सुरक्षित रखे जाएं'

इससे पहले अक्षय शिंदे की ओर से पेश हुए वकील अमित कटरनावरे ने कोर्ट से कहा है कि अक्षय शिंदे को तलोजा जेल से हिरासत में लेते समय और घटना के समय सभी दुकानों के सीसीटीवी तुरंत सुरक्षित रखे जाएं। अक्षय शिंदे ने जेल में अपने परिवार से मुलाकात की।

उन्होंने कहा कि घटना वाले दिन उसने अपने माता-पिता से बात की और पूछा कि उसे जमानत कब मिलेगी। मेरा मामला यह है कि वह कुछ भी करने की मानसिक स्थिति में नहीं था, क्योंकि पुलिस ने दावा किया है कि उसने पिस्तौल छीनी और अधिकारियों पर गोली चलाई।

अमित कटरनावरे ने कोर्ट को बताया कि अक्षय ने कैंटीन की सुविधा का लाभ उठाने और जो खाना है, उसे खाने के लिए अपने माता-पिता से 500 रुपए मांगे थे। वह भागने की स्थिति में नहीं था और न ही उसके पास पुलिस अधिकारी से पिस्तौल छीनने की शारीरिक क्षमता थी। आगामी चुनाव को देखते हुए अक्षय की हत्या की गई है।

'SIT पीड़िता को न्याय दिलाने में विफल रही'

अक्षय शिंदे के पिता के वकील ने कहा कि यह स्पष्ट है कि वह फर्जी मुठभेड़ की जांच की मांग कर रहे हैं। स्वतंत्र जांच सीआईडी ​​या किसी अन्य पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए, जैसा कि कानून के तहत किया जाना आवश्यक है। एसआईटी के गठन के लिए निर्देश देने का अधिकार हाईकोर्ट को है। पुलिस ने धारा 307 के तहत आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, लेकिन एफआईआर दर्ज करने के लिए पिता की शिकायत अभी भी लंबित है।

उन्होंने कहा कि एसआईटी पीड़िता को न्याय दिलाने में विफल रही है, इसलिए दोनों की एक साथ जांच होनी चाहिए। महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि सीआईडी ​​ने पहले ही जांच शुरू कर दी है। एक मामला धारा 307 के तहत दर्ज है और दूसरा आकस्मिक मृत्यु रिपोर्ट (एडीआर) है।

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