क्या है अफस्पा कानून, क्यों हो रहा हैं इस पर विवाद?

क्या है अफस्पा कानून, क्यों हो रहा हैं इस पर विवाद?

जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में लागू सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम यानी की AFSPA को लेकर देश में एक बार फिर से चर्चा गर्म हो गई है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में लागू सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम को हटाने पर विचार कर रही है।

उन्होंने दावा किया कि सरकार जम्मू-कश्मीर से सैनिकों को वापस बुलाने और यहां की कानून व्यवस्था जम्मू-कश्मीर पुलिस पर छोड़ने की योजना भी बना रही है।

अब आपके दिमाग़ में ये ज़रूर आएगा की आखिर AFSPA है क्या? इसे क्यों लागू किया जाता है? बता दें कि AFSPA यानी आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट, इसे ब्रिटिश सरकार ने क्रांतिकारियों के आंदोलनों को कुचलने के लिए लागू किया था।

इसके तहत सैन्य बलों को विशेष अधिकार दिए गए हैं। भारत के आजाद होने के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राज्यों की स्थिति को देखते हुए इसे जारी रखने का फैसला लिया था।

1958 में एक अध्यादेश के जरिए AFSPA के वर्तमान स्वरूप को लाया गया। संसद की स्वीकृति के बाद सितंबर, 1958 को AFSPA एक कानून बना।

AFSPA को लागू करने का मकसद देश के अशांत क्षेत्रों में कानून व्यवस्था बनाए रखना है। इस अधिनियम को आतंकवाद, विद्रोह या भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर खतरे की स्थिति में लागू किया जाता है।

बता दें कि इस अधिनियम के तहत सुरक्षाबलों को अशांत क्षेत्रों में कई कानूनी छूट भी प्रदान करता है। बता दें कि 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर में आतंक अपने चरम पर पहुंच गया था।

इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने इसी तरह का एक कानून पास करने का फैसला लिया, जिसके जरिए 5 जुलाई, 1990 को सरकार ने पूरे जम्मू-कश्मीर में AFSPA लागू कर दिया था।

एक वक्त अफस्पा पूर्वोत्तर भारत के असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम और नगालैंड में लागू था। साल 2015 में इसे त्रिपुरा से हटा लिया गया था।

वहीँ, पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों में धीरे-धीरे इस कानून में ढील दी जा रही है। कई शहरों से अब आंशिक या पूरे तरीके से अफस्पा को हटा लिया गया है।

जम्मू-कश्मीर में अभी अफस्पा लागू है। लेकिन इस पर विचार करने की बात कही गई है। सरकार का दावा है कि पहले के मुकाबले अब जम्मू-कश्मीर के हालात काफी बदल गए हैं।