न्यायालय ने भ्रामक विज्ञापनों पर कहा : जनता को धोखा देने की अनुमति नहीं दी जा सकती

उच्चतम न्यायालय ने भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में मंगलवार को कहा कि ‘‘ हम जनता को धोखा देने की अनुमति नहीं दे सकते।” इसके साथ ही न्यायालय ने केंद्र एवं राज्य के लाइसेंस अधिकारियों को भ्रामक विज्ञापनों से निपटने के लिए खुद को ‘तैयार’ होने के लिए कहा।

न्यायालय ने आयुष मंत्रालय के अगस्त 2023 के पत्र को लेकर केंद्र से भी सवाल किया, जिसमें लाइसेंस अधिकारियों को औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियमावली, 1945 के नियम 170 के तहत कोई कार्रवाई शुरू नहीं करने को कहा गया था। न्यायालय ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के सदस्यों द्वारा अत्यधिक महंगी दवाइयां लिखने के लिए उसकी भी खिंचाई की।

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कई अन्य कंपनियां (एफएमसीजी) भी इस रास्ते पर जा रही हैं और केंद्र को इस बारे में जवाब देना होगा कि उसने क्या किया है।

पीठ ने कहा, ”हम जनता को धोखा देने की अनुमति नहीं सकते। अगर यह (भ्रामक विज्ञापन) हो रहा है, तो भारत सरकार को खुद को सक्रिय करने की जरूरत है और राज्य के लाइसेंस अधिकारियों को भी ऐसा करना होगा।”

पीठ ने याचिकाकर्ता आईएमए के वकील से कहा कि जब एसोसिएशन पतंजलि की ओर उंगली उठा रहा है तो “अन्य चार उंगलियां आप (आईएमए) पर भी उठ रही हैं।”

पीठ ने कहा, ”आप सिर्फ अपने कंधे उचकाकर यह नहीं कह सकते कि मैंने राज्य के प्राधिकरण को शिकायत से अवगत करा दिया है और अब यह उनका काम है।’’

उसने कहा, ”यह सब सिर्फ एफएमसीजी के होने के कारण नहीं हो रहा है। आप और आपके सदस्य हैं जो सिफारिशों के आधार पर दवाएं लिख रहे हैं… अगर ऐसा हो रहा है, तो हमें आपकी ओर ध्यान क्यों नहीं देना चाहिए?

इस पर आईएमए के वकील ने कहा कि वह इस मुद्दे को देखेंगे।

पीठ ने केंद्र से यह भी सवाल किया कि उसे अन्य ‘एफएमसीजी’ कंपनियों के खिलाफ क्या शिकायतें मिली हैं और उन पर क्या कार्रवाई की गई है?

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा, “मैं चैनल का नाम नहीं लूंगा। चैनल पर खबर प्रसारित हो रही थी कि आज अदालत में ये किया गया है और दूसरी तरफ विज्ञापन आ रहा था। कैसी विडंबना है!”

सर्वोच्च अदालत 2022 में आईएमए द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कोविड टीकाकरण अभियान और चिकित्सा की आधुनिक प्रणालियों को बदनाम करने के लिए अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है।

मंगलवार को सुनवाई के दौरान, सर्वोच्च अदालत ने याचिका दायर करने के लिए आईएमए पर 1,000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की मांग वाली एक हस्तक्षेप याचिका पर भी गौर किया।

योग गुरु रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा, “मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है। मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।”

पीठ ने कहा, ”हम आवेदन के समय को लेकर बहुत उत्सुक हैं।” उसने कहा कि जब आवेदक अदालत के समक्ष उपस्थित होंगे तो वह आवेदन पर विचार करेगी।

मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।

जनता देश को आर्थिक, सामरिक महाशक्ति बनाने में समर्थ सरकार चुने : योग गुरु रामदेव

योग गुरु रामदेव ने बुधवार को जनता से राष्ट्रहित में अपने मताधिकार का प्रयोग करने की अपील करते हुए उनसे ऐसी सरकार चुनने को कहा जो देश को आर्थिक और सामरिक महाशक्ति बनाने में समर्थ हो।

हरिद्वार में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए रामदेव ने कहा कि आध्यात्मिक जीवन हमारे सांस्कृतिक सनातन संविधान से चलता है लेकिन देश अपने संविधान से चलता है जिसने हमें वोट देने का एक बड़ा अधिकार दिया है।

, उन्होंने कहा, ‘‘आप राष्ट्रहित में मतदान जरूर करें। ऐसी सरकार चुनें जो देश को आर्थिक और सामरिक महाशक्ति बनाने में समर्थ हो। ऐसी सरकार को वोट दें जो न केवल विकास के लिए काम करे बल्कि देश की सांस्कृतिक विरासत की भी चिंता करे।’’

रामदेव ने जनता से कहा कि यदि ऐसी सरकार चुनेंगे तो सभी भारतीयों के सपने पूरे होंगे।

उत्तराखंड में 19 अप्रैल को प्रथम चरण में मतदान होना है। प्रदेश में लोकसभा की पांच सीट है।