संस्कृत विद्वान स्वामी रामभद्राचार्य और गुलज़ार को ज्ञानपीठ पुरस्कार से किया गया सम्मानित

संस्कृत विद्वान स्वामी रामभद्राचार्य और गुलज़ार को ज्ञानपीठ पुरस्कार से किया गया सम्मानित

महान गीतकार और कवि गुलज़ार और संस्कृत विद्वान और आध्यात्मिक नेता जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

चयन समिति के अनुसार वर्ष 2023 के लिए 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार संस्कृत के लिए स्वामी रामभद्राचार्य और उर्दू के लिए श्री गुलज़ार को प्रदान किया गया है।

गुलज़ार के नाम से मशहूर संपूर्ण सिंह कालरा ने हिंदी सिनेमा में कई यादगार और प्रतिष्ठित गाने लिखे हैं। उन्होंने गीतकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत बलराज साहनी अभिनीत फिल्म ‘काबुलीवाला’ से की।

उन्होंने कई फिल्मों में गाने और पटकथाएं लिखी हैं और ‘माचिस’, ‘आंधी’, ‘मौसम’, ‘खुशबू’, ‘परिचय’ और ‘कोशिश’ सहित कई प्रशंसित फीचर फिल्मों का निर्देशन भी किया है।

इससे पहले उन्हें अपने काम के लिए 2002 में उर्दू के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण और कम से कम 5 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं।

चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य एक प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक नेता, शिक्षक और सैकड़ों पुस्तकों के लेखक हैं।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने चित्रकूट में तुलसी पीठ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामी रामभद्राचार्य के योगदान की सराहना की थी।

पीएम मोदी ने कहा ने कहा कि रामभद्राचार्य जी हमारे देश के ऐसे ऋषि हैं, जिनके ज्ञान के आधार पर ही दुनिया के कई विश्वविद्यालय अपना अध्ययन और शोध कर सकते हैं।

बचपन से आंखों की रोशनी न होने के बावजूद भी आपके ज्ञान चक्षु इतने विकसित हैं कि आपने सभी वेदों को कंठस्थ कर लिया है। आपने सैकड़ों किताबें लिखी हैं।

भारतीय ज्ञान और दर्शन पर ‘प्रस्थानत्रयी’ बड़े-बड़े विद्वानों के लिए भी कठिन मानी जाती है। जगद्गुरु जी ने आधुनिक भाषा में अपनी टिप्पणी भी लिखी है।

उन्होंने कहा कि ज्ञान का यह स्तर, बुद्धिमत्ता का यह स्तर व्यक्तिगत स्तर तक सीमित नहीं है। यह बुद्धिमत्ता पूरे देश की विरासत है और इसीलिए, हमारी सरकार ने 2015 में स्वामीजी को पद्म विभूषण से सम्मानित किया।

ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना 1961 में भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा की गई थी। साहित्य अकादमी पुरस्कारों के साथ-साथ यह भारतीय साहित्य का सबसे प्रमुख पुरस्कार है।