लोग सिगरेट पीना तो छोड़ दें, लेकिन उन 4.57 करोड़ लोगों का क्या होगा जो अपनी आजीविका के लिए तंबाकू क्षेत्र पर निर्भर है

भारत ज्ञानीयों का देश रहा है. पुराने जामाने में कई महान ज्ञानी हुए, चाहे गणित में आर्यभट या चिकित्सा में चरक. अपने तो बाबा तुलसी ने बनारस के घाट पर बैठ कर उस जामने में ही ‘जुग सहस्त्र जोजन पर भानु , लील्यो ताहि मधुर फल जानू’ लिख कर सूर्य की दूरी बता दी थी. अब के वैज्ञानिक तो बस बाबा की बातों को सही साबित कर रहें हैं.

लेकिन अब के ज्ञानी तो राह चलते, नुक्कड़ पर, सोशल मीडिया और भांती-भांती के जगह पर ज्ञान देते दिख जाते हैं. आज कल भारत में एक नया चलन शुरु हुआ है ये डे, वो डे हमेसा कोई न कोई डे आते रहते है और लोग भी अपना ज्ञान देते दिखते है. कभी-कभी तो लोग कुछ ज्यादा ही भावूक हो जाते है.

अभी कुछ दिन पहले No Smoking Day मनाया गया लोग भी खूब भावुक दिखे सिगरेट नही पीना चाहिए, ये नुकसान, वो नुकसान न जाने क्या क्या. हम भी मानते है कि सिगरेट नही पीना चाहिए स्वास्थ के लिए हानिकारक है. लेकिन पीने वाले बच्चे तो है नही और उन्हे भी अपनी स्वास्थ को लेकर फ्रीक तो होगी ही.

सिगरेट जलाने से जो राख बनती है उस राख के अंदर इतना पैसा दबा है कि कई ट्रेन से कई साल तक देश के एक हिस्सा से दूसरे हिस्सा तक पैसा भेजें फिर भी खतम नहीं होगा. अब आप सोच रहें होंगें की हम इतनी बड़ी बड़ी अतिश्योक्ति दिए जा रहें हैं क्या सच में तंबाकू का संसार इतना बड़ा है. तो तंबाकू का संसार इससे भी बड़ा है.

चलिए अब आंकड़े भी बता देतें हैं. आंकड़ो पर गौर करें तो मालूम होता है कि पिछले साल के एक रिसर्च के मुताबिक तंबाकू इंडस्ट्री 11,79,498 करोड़ रुपय का धन सृजन किया था. साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक योगदान देने वालों में से एक था. यानी कई राज्यों के जीडीपी से भी ज्यादा. अब इस आंकड़े को देखने के बाद ये तो समझ गए होंगें की कितना बड़ा है ये कारोबार.

इसीलिए सरकार भी इसे बंद नहीं करती और हर साल सिगरेट पर टैक्स बढा देती है. जब बजट आता है तो सिगरेट प्रेमी यही सोचते हैं कि उनके प्यार पर इस साल कितना टेक्स लगा यही चिंता है जो उन्हें सबसे ज्यादा परेशान करती है. क्यों की अगर सरकार 10 प्रतिशत टेक्स बढाती है तो दुकान पर आते आते वो 15 प्रतिशत तक पहुंच जाती है उसके बाद भी अगर रेट राउंड फिगर में न हो तो दुकानदार भी उसे राउंड फिगर में कर देता है.

ये तो कुल हिसाब किताब रही लेकिन एक सिगरेट पीने से इसके ऊपर कितना लोग निर्भर करते है ये भी लगे हाथों जान लेते है. तो तंबाकू क्षेत्र पर 4.57 करोड़ लोग निर्भर है, जिसमें 60 लाख किसान हैं, दो करोड़ खेतीहर मजदूर हैं. वहीं 40 लाख लोग तंबाकू के पत्ते तोड़ने वाले हैं. निर्माण और निर्यात में काम करने वाले 85 लाख लोग हैं और 72 लाख अपने दुकानदार हैं जो खुदरा बिक्री लगें है.

ये है पूरा कारोबार तो उम्मीद करतें है ज्ञान देने वाले इतने लोगों के लिए संकट नहीं बनेंगें. अगर लोग पीना छोड़ दिए तो 4.57 करोड़ लोगों का क्या होगा. वैसे भी देश के कुछ मस्खरें अक्सर कहते पाए जातें है कि देश में जो प्रदुषण है उसके पीछे सिगरेट पीने वाले जिम्मेदार हैं. लेकिन एक और आंकड़े है जो कुछ और इशारा करतें है देश में धूम्रपान से 9 लाख लोगों को अपनी जान गवानी पड़ती है. तो सिगरेट पीना बुरी बात है संभव हो तो छोड़ दें और उससे भी ज्यादा जरुरी अगर बस की बात हो तो आज से ही बंद कर दें.