धूम्रपान छोड़ने से मधुमेह का खतरा 30 से 40 प्रतिशत तक कम हो सकता : WHO

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) और न्यूकैसल विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से दी गई जानकारी के मुताबिक धूम्रपान छोड़ने से टाइप-2 मधुमेह के खतरे को 30 से 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा कि सबूत संकेत देते हैं कि धूम्रपान रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने की शरीर की क्षमता को प्रभावित करता है, जिससे टाइप-2 मधुमेह (डायबिटीज) हो सकता है।

संयुक्त राष्ट्र निकाय ने कहा कि टाइप-2 मधुमेह दुनिया भर में सबसे विस्तृत दीर्घकालिक बीमारियों में से एक है। यह मधुमेह के 95 प्रतिशत से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार है।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इसे रोका जा सकता है क्योंकि टाइप-2 मधुमेह के कारकों में मोटापा, पर्याप्त व्यायाम न करना और आनुवंशिकी शामिल हैं।

बयान में कहा गया कि आईडीएफ का अनुमान है कि 53.7 करोड़ लोग मधुमेह से ग्रस्त हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है और दुनिया भर में बीमारियों से होने वाली मौतों में मधुमेह से होने वाली मौतों का स्थान नौंवा है। आईडीएफ 161 देशों और क्षेत्रों में 240 से अधिक राष्ट्रीय मधुमेह संघों का एक गैर-लाभकारी संयुक्त मंच है।

डब्ल्यूएचओ के बयान के मुताबिक धूम्रपान से हृदय रोग, गुर्दे खराब होने और अंधापन जैसी मधुमेह संबंधी जटिलताओं का खतरा भी बढ़ जाता है, इसके अलावा घाव भरने में देरी होती है और पैरों के निचले हिस्से को काटने तक का खतरा बढ़ जाता है।

आईडीएफ अध्यक्ष अख्तर हुसैन ने कहा, ‘‘इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन लोगों को मधुमेह के खतरे को कम करने के लिए धूम्रपान बंद करने के लिए दृढ़ता से प्रोत्साहित करता है। मधुमेह होने की स्थिति में धूम्रपान छोड़ने पर जटिलताओं से बचने में मदद मिलती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम सरकारों से ऐसे नीतिगत उपाय लागू करने का आह्वान करते हैं जो लोगों को धूम्रपान करने से हतोत्साहित करें और सभी सार्वजनिक स्थानों को धूम्रपान से मुक्त करे।’’

14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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