Mahashivratri 2024: आखिर भगवान शिव की जटाओं से क्यों बहती है गंगा जी?

Mahashivratri 2024: आखिर भगवान शिव की जटाओं से क्यों बहती है गंगा जी?

महादेव का रूप अन्य देवताओं से अलग है। भोलेनाथ अपने गले में आभूषण नहीं बल्कि सांपों की माला पहनते हैं। उनके सिर पर मुकुट नहीं, बल्कि चंद्र देवता विराजमान हैं और उनकी जटाओं से मां गंगा बहती हैं।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर मां गंगा भगवान शिव की जटाओं से क्यों बहती हैं और इसके पीछे क्या वजह है? पौराणिक कथा में जिक्र किया गया है कि भागीरथ ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था।

जिसके बाद भगवान शिव ने भागीरथ से वरदान मांगने को कहा तो भगीरथ ने उन्हें अपनी पूरी व्यथा सुनाई। भगीरथ की बात सुनकर धरती को बचाने के लिए भोलेनाथ ने अपनी जटाओं को खोल दिया।

इस तरह मां गंगा देवलोक से उतरकर भगवान शिव की जटा में समा गई और भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण कर लिया।

भगवान शिव की जटाओं में आते ही मां गंगा का वेग कम हो गया और वह धरती वासियों का उद्धार करने के लिए आ गईं। मां गंगा को अपनी जटाओं में धारण करने से भगवान शिव का एक नाम गंगाधर भी पड़ा है।