karwachauth Special : कब है करवा चौथ, क्या है इसके पीछे की कहानी…

KARWA CHAUTH SPECIAL

करवा चौथ का त्यौहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. कई जगह कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की कामना के लिए करवा चौथ व्रत रखती हैं.करवा चौथ का त्योहार पूरे उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है. यह व्रत सूर्योदय से पहले से शुरू कर चांद निकलने तक रखा जाता है. चन्द्रमा के दर्शन के बाद ही महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं. आइए जानते हैं कि इस बार करवा चौथ का त्योहार कब मनाया जाएगा और क्या है करवा चौथ की कहानी ।

कब मनाया जाएगा करवा चौथ ?

करवा चौथ इस वर्ष गुरुवार 13 अक्टूबर को मनाया जाना है। वहीं शुभ मुहूर्त गुरुवार को शाम 6 बज कर 1 मिनट से लेकर 7 बज कर 15 मिनट  तक है।

करवा चौथ में क्या होता है ?

इस दिन महिलाएं अपने पति की सुरक्षा के लिए निर्जला उपवास रखती है, और वह सुबह से लेकर शाम तक कुछ नहीं खाती। वहीं अगर इस दौरान कोई महिला कुछ खाती है या फिर पानी पीती है तो व्रत खंडित और अधूरा माना जाएगा।

क्या है करवा चौथ की कहानी ?

करवा चौथ की कहानी है कि देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थी,एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने गए तो नदी में मौजूद मगरमच्छ ने करवा के पति का पांव अपने मुंह में फंसा लेता है, जिसके बाद करवा का पति करवा-करवा चिल्लाने लगता है। करवा उसके बाद एक कच्चा धागा लेकर मगरमच्छा को एक पेड़ से बांध देती है , हालांकि मगरमच्छ उस धागे को तोड़ नहीं पाता और फिर करवा यमराज को बुलाने लग जाती है और कहती है कि वह उसके पति की जान बख्शे और मगरमच्छ को मौत दे, जिस पर यमराज कहता है, नहीं अभी मगरमच्छ के दिन बच्चे हैं, तुम्हारे पति के पास समय नहीं है। लेकिन करवा कहती है कि अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो मैं शराप दे दूंगी, और डर से यमराज मगरमच्छ की जान बख्श देता है और करवा के पति को जीवित छोड़ देता है।

जिस वजह से महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती है और करवा माता से प्रार्थना करती है कि वह अपने पति की तरह उनके पति की जान की भी रक्षा करें।