आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में समय की कीमत काफी ज्यादा बढ़ गई है. जिसके चलते समय खराब ना होने के नए तरीके भी इजात किए जा रहे हैं. ट्रैफिक जैम जैसी प्रस्थितियों से निपटने के लिए नए-नए वाहनों की खोज की जा रही है. इसका ही नतीजा है कि आज हम बैलगाड़ी से बुलेट और मैग्लेव ट्रेन तक के सफर तक पहुंच गए है. वहीं, इसी कड़ी में एक नया अध्याय हो सकती है हाइपरलूप ट्रेन. एक ऐसी तकनीक जो आपको कुछ ही मिनट में दिल्ली और मुंबई पहुंचा दे.
इस ट्रेन की सबसे बड़ी खासियत है बुलेट ट्रेन से भी दोगुनी रफ्तार से चलना. यह ट्रेन चुंबकीय तकनीक से लैस पॉड (ट्रैक) पर चलेगी. यह ट्रेन वैक्यूम (बिना हवा) ट्यूब सिस्टम से गुजरने वाली कैप्सूल जैसी हाइपरलूप लगभग 1200 किमीप्रति घंटे की रफ़्तार से एक जगह से दूसरी जगह पर जा सकेंगे.
क्या है हाइपरलूप?
आपमें से कुछ शायद यह जानना चाहते हों की भला हाइपरलूप क्या है ? हाइपरलूप में एक लंबी वैक्यूम ट्यूब और कैप्सूल जैसी कम्पार्टमेंट होते हैं जिन्हें पोट कहा जाता है। ये पॉड्स वैक्यूम ट्यूब के अंदर हाई स्पीड से चलते है, इन ट्यूब्स को लूप कहा जाता है और इस तकनीक मे ट्रांसपोर्ट लूप होता है, इसीलिए इस तकनीक को हाइपरलूप टेक्नॉलजी नाम दिया गया है.
वैक्यूम यानी निर्बाध ऐसी सिचुएशन जिसमें हवा ना हो और इस टेक्नॉलजी की यही तो अनोखी बात है कि जिस पॉड में बैठक सफर करेंगे उसमें बाहर वाली वैक्यूम ट्यूब मे बहुत ही कम हवा होगी. इस वैक्यूम ट्यूब में पूरी हवा नहीं निकाली जाती है बल्कि थोड़ी हवा इसी में रहती है और हवा कम होने से फ्रिक्शन भी कम हो जाता है और स्पीड बढ़ाने के लिए ऊर्जा की जरूरत भी कम पड़ती है.
हाइपरलूप टेक्नॉलजी में स्पीड 760 mph मतलब 1200 किलोमीटर प्रति घंटे के बराबर रहती है और यह स्पीड आवाज की स्पीड के बराबर होती है. इसका मतलब आवाज की स्पीड से चलने वाला यह हाइपरलूप अभी तक की सुपर फास्ट स्पीड को हासिल करने का दम रखता है.
HyperLoop के फ़ायदे क्या है?
- हाइपरलूप ट्रेन या कार यात्रा की तुलना में सस्ता और तेज हो सकता है
- हवाई यात्रा की तुलना में कम polluting हो सकता है
- शहरों के बीच यात्रा को आसान बनाने और आर्थिक लाभों को अनलॉक करने के लिए किया जा सकता है.
- इसके ज़रिए तेज़ी से बढ़ते शहरों में ट्रैफ़िक जैसी समस्या को भी दूर करते हुए शहरों के बीचो-बीच ऐसी सुविधाएं संभावित आर्थिक लाभ भी दे सकती हैं
असल में दुनिया भर में HyperLoop इसलिए इतनी चर्चा में हैं क्योंकि माना ये जा रहा है कि हाई-स्पीड ट्रेनों की तुलना में इसको तेज़ी बनाया जा सकता है और साथ ही इसकी लागत भी कम है
दुनिया भर में चर्चा में है HyperLoop!
दुनिया भर में बात की जाए तो Tesla के सीईओ, Elon Musk ने अगस्त 2013 में अपना ‘Hyperloop Alpha’ नाम से पेपर published करते हुए इस तकनीक में interest दिखाई थी, वहीं साल 2020 में अमेरिकी कंपनी Virgin Hyperloop ने दावा किया कि उसने पहली बार मानव यात्रियों के साथ अपनी अल्ट्रा-फास्ट परिवहन प्रणाली का सफल परीक्षण किया है.
भारत में कब चलेगी ट्रेन
भारत में हाल-फिलहाल में हाई स्पीड हाइपरलूप शुरू होने की कोई संभावना नहीं है. नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने बीते रविवार को यह बात कही. उन्होंने कहा कि भारत द्वारा निकट भविष्य में अत्यधिक तेज गति की ट्रेन के लिए हाइपरलूप टेक्नोलॉजी को अपनाने की संभावना नहीं है.
सारस्वत ने कहा कि अभी यह टेक्नोलॉजी परिपक्वता के ‘बहुत निचले स्तर’ पर है और फिलहाल यह आर्थिक रूप से व्यवहार्य भी नहीं है. कुछ विदेशी कंपनियों ने भारत में यह टेक्नोलॉजी लाने में रुचि दिखाई है. जहां तक हमारा सवाल है, हाइपरलूप टेक्नोलॉजी के बारे में हमने पाया कि विदेशों से जो प्रस्ताव आए थे, वे बहुत व्यवहार्य विकल्प नहीं हैं. वे टेक्नोलॉजी की परिपक्वता के बहुत निचले स्तर पर हैं.