लाल सागर बना जंग का मैदान, लाल सागर में हूतियों का हमला बन गया है दुनिया की चिंता

लाल सागर बना जंग का मैदान, लाल सागर में हूतियों का हमला बन गया है दुनिया की चिंता

समंदर दिन की रोशनी में जितना खूबसूरत लगता है, उससे कहीं ज्यादा हसीन रात के अंधेरे में लगता है. वो समंदर, जहां से दुनिया का 40 फीसदी व्यापार होता है.

यहां से गुजरने वाले जहाजों पर कई देशों की अर्थव्यवस्था टिकी है. फिर अचानक से आतंकी इन जहाजों पर हमला शुरू कर देते हैं, इन्हें लूटते हैं, इन पर कब्जा करते हैं.

पूरी दुनिया के लिए यह चिंता का सबब बन जाता है. यह किसी हॉलीवुड फिल्म की कहानी नहीं है, बल्कि असल में हुई एक बड़ी दिक्कत है.

हूती विद्रोहियों ने ‘द रेड सी’ यानी लाल सागर में तबाही मचा दी है .लाल सागर दुनिया में चिंता का कारण बना हुआ है. हूती विद्रोही लाल सागर से इजराइल जाने वाले जहाजों को निशाना बना रहे हैं.

ईरान लगातार इनकी मदद कर रहा है और बैलेस्टिक मिसाइलें उपलब्ध करा रहा है. हूती व्रिदोही लाल सागर पर कब्जा करके अपनी ताकत को बुलंद करना चाहते हैं.

अब सवाल ये है कि आखिर क्यों जरूरी है लाल सागर और यह रास्ता खास क्यों है? लाल सागर हिंद महासागर, एशिया और अफ्रीका के बीच में पड़ता है और जमीनी तौर पर यही एशिया और अफ्रीका को अलग करता है.

इसी रास्ते से यूरोप और एशिया के देशों का सामान समुद्र के जरिए आता जाता है. लाल सागर में हूतियों के हमले का असर कुछ हद तक भारत की इकोनॉमी पर देखने को मिल रहा था.

हूतियों के रवैये को देखने के बाद में इस समय शिपिंग कंपनियां लाल सागर से होकर जाने से भी घबरा रही है. इसके अलावा इस समय वह सभी दूसरे रूट के जरिए अपने माल को भेज रहे हैं.

जिसका असर शिपिंग कॉस्ट पर भी देखने को मिल रहा है. लाल सागर उन जहाजों के लिए एंट्री पॉइंट है, जो स्वेज नहर का इस्तेमाल करते हैं.

ये नहर एशिया और यूरोप के बीच सबसे छोटा समुद्री रास्ता है. कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसी रूट से हर साल 1 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा का बिजनेस होता है.

भारत की बात करें तो हमारा 20 प्रतिशत से भी अधिक एक्सपोर्ट इस नहर के जरिए रेड सी से होकर गुजरता है.

इस रूट से होकर जहाज मुंबई, कोच्चि, मेंगलुरु, गोवा और चेन्नई से होकर सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड वियतनाम जैसे दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में जाते हैं.

लेकिन इससे भी जरूरी बात ये है कि इससे देश का सबसे ज्यादा क्रूड ऑइल आता है. बीते साल हमारे यहां आयात हुआ 65 प्रतिशत तेल रेड सी से होकर पहुंचा था.

खासकर रूस से क्रूड ऑइल इसी रूट के जरिए हम तक पहुंच रहा है. भारत के लिए ही नहीं बल्कि ग्लोबल मार्केट के लिए भी यह रूट काफी जरूरी है.

लाल सागर का रूट आगे जाकर के स्वेज नहर में मिलता है. इस रूट के जरिए ही यूरोप और एशिया को जोड़ने का काम किया जाता है.

फिलहाल ग्लोबल मार्केट के लिए यह रूट काफी जरूरी है. अगर लाल सागर का रूट बंद हो जाता है तो शिपिंग कंपनियों को यूरोप-एशिया के बीच व्यापार करने के लिए लंबे रूट का सहारा लेना पड़ेगा.

जिससे कॉस्ट में भी इजाफा हो जाएगा. लंबे रूट की वजह से शिपिंग कंपनियों की कॉस्ट भी 30 से 40 फीसदी तक बढ़ सकती है. इसके साथ ही माल आने में भी 10 से 15 दिन का समय लग सकता है.