अबू धाबी में बना पहला हिंदू मंदिर, 7 शिखर और काशी-अयोध्या की झलक

अबू धाबी में बना पहला हिंदू मंदिर, 7 शिखर और काशी-अयोध्या की झलक

भारत ही नहीं पूरी दुनिया में सनातन धर्म के प्रचार प्रसार को लेकर भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बड़े कदम उठा रहे है।

अब UAE की राजधानी अबूधाबी में मंदिर के घंटों के आवाज गूंजेगी, शंखनाद होगा, देव प्रतिमा के आगे दीप जलेंगे और आरती की सुरलहरियों से भक्ति का सोता बहेगा।

जी हाँ आप सही सुन रहे हैं संयुक्त अरब अमीरात है तो एक मुस्लिम देश, लेकिन अब ये हिंदुत्व का वो मोती सारी दुनिया में चमक बिखेरने को तैयार है, जिसका इंतजार दशकों से हो रहा था।

PM मोदी ने 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कर भारत के सबसे बड़े मंदिर का उद्घाटन किया था। अब वह मुस्लिम देश UAE में सबसे बड़े हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे।

UAE में अबू धाबी के रेगिस्तान के बीच भव्य हिंदू मंदिर बनकर तैयार है। जिसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने UAE दौरे में 14 फरवरी को इस मंदिर का उद्घाटन करने वाले हैं।

बता दें कि खाड़ी मुल्क में बन रहे इस मंदिर के निर्माण के पीछे हिंदू संप्रदाय ‘बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामिनारायण संस्था’ है, जिसे BAPS संस्था के तौर पर जाना जाता है।

कृष्ण के अवतार के रूप में स्वामीनारायण की पूजा के लिए जाने जाने वाले BAPS ने दुनियाभर में 1,100 से अधिक हिंदू मंदिरों का निर्माण किया है।

इसमें नई दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर और अमेरिका के न्यू जर्सी में हाल ही में बनाया गया मंदिर एशिया के बाहर सबसे बड़ा मंदिर भी शामिल है।

दरअसल, 2015 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी UAE की अपनी यात्रा पर गए थे, तो वहां के राष्ट्रपति ने दुबई-आबू धाबी हाइवे पर 17 एकड़ जमीन तोहफे में दी।

2 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जरिए इस मंदिर की नींव रखी गई। इस मंदिर का निर्माण 2 देशों और उनकी सरकारों के बीच बढ़ रहे सद्भाव का एक सबूत है।

यह मंदिर पश्चिम एशिया का पत्थरों से बना सबसे बड़ा मंदिर होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसे बनाने में 700 करोड़ रुपए से ज्यादा की धनराशि खर्च हुई है।

इस मंदिर को बेहद सावधानीपूर्ण तरीके से डिजाइन किया गया है। इसमें देश के 7 अमीरातों का प्रतिनिधित्व करने वाली 7 मीनारें हैं।

इस मंदिर क्षेत्र का निर्माण 27 एकड़ भूमि पर हुआ है और उत्तरी राजस्थान से अबू धाबी तक गुलाबी बलुआ पत्थर पहुंचाया गया, ताकि यूएई की भीषण गर्मी से इन पत्थरों को कुछ ना हो।

मंदिर का डिजाइन वैदिक वास्तुकला और मूर्तियों से प्रेरित है। मंदिर में की जाने वाली कई जटिल नक्काशी और मूर्तियां भारत में कारीगरों के जरिए तैयार की गईं और साइट पर पहुंचाई गईं हैं।

मंदिर की ऊंचाई 108 फीट है, जिसमें 40 हज़ार क्यूबिक मीटर संगमरमर और 180 हजार क्यूबिक मीटर बलुआ पत्थर लगा है। इस मंदिर का महत्व सद्भाव बढ़ाना है, जिससे संस्कृतियां, धर्म, समुदाय और देश एक साथ रह सकें।