फिर से वाटर सेस कानून लाने की तैयारी में सुक्खू सरकार, धारा-118 में मिलेगी राहत
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि इस महीने कर्मचारियों को पांच तारीख को वेतन दिए जाने के बावजूद किसी ने इसका विरोध नहीं किया। फिसकल प्रूडेंस में राज्य सरकार का साथ देने के लिए वह कर्मचारियों का धन्यवाद करते हैं।
हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में आर्थिक स्थिति पर चल रही चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश की अर्थव्यस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार को कड़े फैसले लेने होंगे जिसमें कि विपक्ष और प्रदेश की जनता का सहयोग जरूरी होगा।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार वाटर सेस को लेकर एक यूनिवर्सल और यूनिफॉर्म कानून लाएगी। पिछले एक्ट को अदालत ने रोक दिया था और अब यह सुप्रीम कोर्ट में है, लेकिन राज्य सरकार हिमाचल की नदियों में बहता पानी को संसाधन की तरह इस्तेमाल करेगी। इसके लिए उपमुख्यमंत्री से चर्चा हुई है और कैबिनेट में जल्दी यह मामला आएगा।
टूरिज्म सेक्टर को बढ़ावा देने के प्रयास को लेकर उन्होंने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए धारा-118 को भी थोड़ा रिलैक्स करना होगा। सीएम ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के बाद हुए नुकसान के बदले मिलने वाले पोस्ट डिजास्टर नीड एसेस्मेंट का पैसा मिल जाए, भारत सरकार से एनपीएस कंट्रीब्यूशन का पैसा मिल जाए और बीबीएमबी एरियर मिल जाए, तो काफी राहत मिल जाएगी। इसके लिए वह केंद्रीय वित्त मंत्री से मिलने दिल्ली जाएंगे। यदि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भी साथ चलने को तैयार हों, तो मैं उनके साथ भी दिल्ली जाने को तैयार हूं।
उन्होंने सदन में आंकड़े रखते हुए बताया कि पूर्व भाजपा सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन, रिवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में कमी और जीएसटी कंपनसेशन बंद होने के कारण हिमाचल की यह हालत हुई है। इसमें सुधार के लिए उनकी सरकार लगातार रिफॉम्र्स कर रही है। इस संकट से निकलने के लिए वित्तीय अनुशासन जरूरी है। हालांकि मुख्यमंत्री के जवाब के बीच में ही विपक्षी दल भाजपा के विधायक बहिष्कार कर सदन से बाहर चले गए।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि इस महीने कर्मचारियों को पांच तारीख को वेतन दिए जाने के बावजूद किसी ने इसका विरोध नहीं किया। फिसकल प्रूडेंस में राज्य सरकार का साथ देने के लिए वह कर्मचारियों का धन्यवाद करते हैं। सिर्फ कर्मचारी ही नहीं, गवर्नर और चीफ जस्टिस की सैलरी भी पांच तारीख को ही गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हर साल 24000 करोड़ सरकारी विभागों के कर्मचारियों पर और 3300 करोड़ बोर्ड निगमों के कर्मचारियों पर खर्च करती है।
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