कांग्रेस ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत को लेकर प्रधानमंत्री पर साधा निशाना

कांग्रेस ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की गिरती कीमत के मुद्दे पर रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और उनसे जवाब मांगा।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि बढ़ती ईंधन दरों, मुद्रास्फीति और ऋण के लिए उच्च ईएमआई के कारण रुपये की गिरती कीमत हर भारतीय की जेब पर असर डालती है।

रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘वर्ष 2014 से पहले रुपये के मूल्य में अपेक्षाकृत कम गिरावट होने पर भी भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के नेता बड़ी-बड़ी बातें किया करते थे। याद है, गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने रुपये की क़ीमत और डॉ. मनमोहन सिंह की उम्र को जोड़ते हुए कितनी घटिया बातें कही थी। रुपए का मूल्य काफ़ी पहले ही स्वघोषित विश्वगुरु की अपनी उम्र से अधिक नीचे गिर गया है।’’

उन्होंने हैशटैग ‘चुप्पीतोड़ोप्रधानमंत्रीजी के साथ लिखा, ‘‘आज रुपए की क़ीमत में भारी गिरावट के बीच वह कहीं नज़र नहीं आ रहे हैं।’’

प्रमुख विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने तथा एशियाई मुद्राओं के कमजोर होने के बीच अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 35 पैसे की भारी गिरावट के साथ 83.48 (अस्थायी) प्रति डॉलर के सर्वकालिक निम्न स्तर पर बंद हुआ।

प्रमुख विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने तथा एशियाई मुद्राओं के कमजोर होने के बीच अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 48 पैसे की भारी गिरावट के साथ 83.61 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निम्न स्तर पर बंद हुआ।

इससे पूर्व 13 दिसंबर, 2023 को रुपये ने 83.40 प्रति डॉलर के निम्नतम स्तर को छुआ था।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘वर्ष 2014 में जब भाजपा सत्ता में आई थी तब एक डॉलर का मूल्य 59 रुपये था। आज भाजपा ने इसे 59 रुपये से बढ़ाकर 84 रुपये पर पहुंचा दिया है।’’

उन्होंने लिखा, ‘‘रुपये के कमज़ोर होने का सीधा असर आपकी जेब पर पड़ता है। रुपये की क़ीमत से तय होता है कि हमें विदेश से आयात होने वाले सामान किस क़ीमत पर मिलेंगे। 2014 में अगर कोई सामान विदेश से 1 डॉलर का आता था तो 59 रुपये चुकाने पड़ते थे। आज हमें उसी एक डॉलर मूल्य की वस्तु के लिए 84 रुपये चुकाने होंगे। हमें जो अतिरिक्त 25 रुपया देना पड़ा रहा है, वह रुपये की गिरती क़ीमत के कारण है। जब विदेशों से आयात होने वाले सामान देश में अधिक क़ीमत पर आएंगे तो ज़ाहिर सी बात है कि लोगों को भी वे ज़्यादा ही दाम पर मिलेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत अपने कच्चे तेल का 80% आयात करता है। इसमें से अधिकांश का भुगतान डॉलर में करना होता है। रुपये के कमज़ोर होने के कारण भारत अब अधिक कीमत पर ईंधन ख़रीद रहा है। जब भी आप पेट्रोल पंप पर जाते हैं तो रुपये के कमज़ोर होने का असर आपकी जेब पर पड़ता है।’’

उन्होंने लिखा, ‘‘जब ईंधन महंगा हो जाता है तो हर तरह के समान की ढुलाई लागत बढ़ जाती है। इसलिए खाने-पीने समेत सभी प्रकार की वस्तुएं महंगी होती जा रही हैं। जब आप किराने का सामान खरीदने बाज़ार जाते हैं तो रुपये के कमज़ोर होने के कारण आपको ज़्यादा क़ीमत चुकानी पड़ती है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘जब महंगाई बढ़ेगी, तो आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) ऊंची कीमतों पर लगाम लगाने के लिए ब्याज दरें भी बढ़ाएगा। इससे आपके लोन की ईएमआई बढ़ जाएगी। यदि आपके पास होम लोन, कार लोन या एजुकेशन लोन है तो अब आप बैंक को अधिक ब्याज देने को मजबूर होंगे – यह सब रुपये के कमज़ोर होने के कारण है।’’