शरद पूर्णिमा की रात क्यों बनाई जाती है खीर? अमृत वर्षा का क्या है राज

शरद पूर्णिमा की रात क्यों बनाई जाती है खीर? अमृत वर्षा का क्या है राज

सनातन धर्म में प्रकृति के प्रति लगाव आम सी बात है। हर महीनें कोई न कोई ऐसा पर्व आ ही जाता है, जिसमें प्रकृति की पूजा की जाती है। ऐसा ही एक पर्व का नाम शरद पूर्णिमा है।

हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है। माना जाता है कि इस दिन चाँद अपनी सोलह कलाओं के साथ निकलता है।

इसीलिए इस दिन चंद्र देव की उपासना की जाती है और महिलाएं उपवास करती हैं। मान्यता है कि शरद पुर्णिमा के रात में खुले आसमान के नीचे चावल की खीर बना कर रख दी जाती हैं।

फिर सुबह- सुबह स्नान करके खीर खाया जाता है। पौराणिक कहानीयों के अनुसार, शरद पुर्णिमा सर्दियों के शुरूवात में मनाई जाती है। माना जाता है कि इस रात में अमृत की वर्षा होती है।

इसीलिए लोग रातभर चावल का खीर बना कर खुले आसमान के नीचे रख देते हैं और फिर सुबह स्नान करके उस खीर को ग्रहण करते है। मान्यता यह भी है कि चाँदी के बर्तन में खीर को रखना शुभ माना जाता है। इसका एक पक्ष और भी है।

ज्योतिषों की माने तो शरद पुर्णिमा के रात मे खुले आसमान के नीचे रखे खीर को खाने से शरीर स्वस्थ रहता है और इम्यूनिटी बढ़ती है। माना जाता है कि इस रात को चाँद से कुछ ऐसी किरणें पृथ्वी पर आती है। जो हमारी बिमारीयों को दूर कर सकती है।