विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के यूरोप के क्षेत्रीय निदेशक हैंस क्लूज ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के अंत के बारे में बात करना अभी बहुत जल्दबाजी होगी।
उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से हम यह नहीं कह सकते कि यह महामारी का अंत है। यह बहुत जल्दबाजी होगी। इस वायरस ने हमें एक से अधिक बार आश्चर्यचकित किया है – उदाहरण के लिए डेल्टा वायरस। लेकिन हां, यह आशावाद के कारण ही है। मगर, हमें आराम से नहीं बैठना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि हालांकि, नोवेल कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट के साथ संक्रमण की वर्तमान लहर मजबूत, लेकिन संक्षिप्त रहेगी। क्लूज के अनुसार, पांच महामारी स्टेबलाइजर्स हैं: टीकाकरण, बूस्टर, मास्क, वेंटिलेशन, विशेष रूप से कक्षाओं में, उपचार तक पहुंच में वृद्धि।
उन्होंने कहा, “ये पांच महामारी स्टेबलाइजर्स हैं, लेकिन हम उन देशों में अनुभव के आधार पर देखते हैं, जो पहले ही चरम पर पहुंच चुके हैं कि लहर मजबूत लेकिन छोटी होगी और प्राथमिकता ही कमजोर लोगों की रक्षा (बचाव) है।”
डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक ने यह भी कहा कि हालांकि ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित लोगों में बीमारी का हल्का रूप देखा गया है, फिर भी यह किसी भी अन्य स्ट्रेन की तरह पोस्ट-कोविड सिंड्रोम का कारण बनता है।
क्लूज ने आगे कहा, “हमें निश्चित रूप से यह नहीं कहना चाहिए कि ओमिक्रॉन वैरिएंट को बेशक हमें प्रभावित करने दें और हमें टीकाकरण की भी कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह तो हल्का है। जी नहीं, क्योंकि एक सिंड्रोम भी तो है, जिसे लॉन्ग-कोविड (लंबी अवधि तक चलने वाला) कहा जाता है। 30 प्रतिशत तक लोग कोविड-19 से महीनों तक पीड़ित रहे हैं। हमें आधुनिक प्रकृति (मॉडर्न नेचर) के साथ नहीं खेलना चाहिए।”
वहीं, क्लूज ने कोविड-19 के खिलाफ रि-वैक्सीनेशन का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा, मैं सभी लोगों को टीके लगवाने और इसे बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करता हूं। क्लूज ने कहा कि टीकाकरण के साथ ही यह आशावाद की लहर देखने को मिली है कि हम महामारी के तीव्र चरण से बाहर निकलेंगे।