हरियाणा में कांग्रेस की आपसी गुटबाजी एक बार फिर से चरम सीमा पर

हरियाणा में कांग्रेस की आपसी गुटबाजी एक बार फिर से चरम सीमा पर

चन्द्र शेखर धरणी, चंडीगढ़:

हरियाणा के अंदर कांग्रेस ने भले ही 8 टिकटों का आवंटन कर दिया हो, लेकिन कांग्रेस की आपसी गुटबाजी एक बार फिर से चरम सीमा पर देखे जा रही है।

सिरसा से कांग्रेस की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय स्तर के नेता कुमारी शैलजा को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया है। कांग्रेस के शैलजा समर्थक गुट के द्वारा सिरसा के अंदर शुक्रवार को शैलजा को टिकट मिलने के बाद सभी कांग्रेस के नेताओं को रोड मेंप तैयार करने के लिए आमंत्रित किया गया।

इस मीटिंग के अंदर केवल शैलजा समर्थन की मौजूद रहे, जबकि नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट से जुड़े हुए सभी नेता अधिकांश रूप से नदारद रहे।

जिनमे डॉक्टर के वी सिंह,अमित सिहाग,भारत सिंह बेनीवाल, राजू शर्मा, परमवीर सिंह, जरनैल सिंह, प्रह्लाद सिंह गीलाखेड़ा जैसे चेहरों के अनुपस्थित रहने की चर्चा है।

हुड्डा तथा एस आर के गुटों में टिकटों के आंबटन के बात शीत युद्ध बन्द होने की बजाय बढ़ता नजर आने लगा है। उम्मीदवारों के चयन में एस आर के गुट को हुड्डा खेमे ने घोबी पछाड़ दी है।

भले ही डॉक्टर के वी सिंह के बयान कुमारी शेलेजा की जीत के दावों के आए हैं। राजनैतिक समीक्षक मानते है कि अगर शेलेजा के साथ सिरसा में यह स्थिति यथावत रही, तो पूरे हरियाणा में यही दृश्य नजर आएगा।

किरण चौधरी की बेटी श्रुति की टिकट कटने से पहले ही एस आर के खेमा बेचैनी में है। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेन्द्र सिंह के बेटे ब्रिजेन्द्र सिंह को हिसार से टिकट न मिलने पर अब एसआरके गुट को बीरेन्द्र सिंह का भी समर्थन खुल्लम-खुल्ला मिल सकता है।

हरियाणा में 10 सालों से सत्ता से बाहर है कांग्रेस

हरियाणा के अंदर कांग्रेस पिछले 10 सालों से सत्ता से बाहर है, यही स्थिति केंद्र के अंदर होने के कारण कांग्रेस लोकसभा चुनाव में 2019 के अंदर एक भी सीट नहीं जीत पाई थी।

भाजपा को 10 के 10 लोकसभा सीट 2019 में जितने का मौका मिला था। उसे वक्त हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक तवर हुआ करते थे जो वर्तमान में सिरसा से भाजपा के उम्मीदवार है।

सिरसा के अंदर 2 दिग्गज जो आमने-सामने लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार है अशोक तंवर तथा कुमारी शैलजा यह दोनों कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष है। वर्तमान में तंवर भाजपा की टिकट पर सिरसा लोकसभा से उम्मीदवार है।

2024 के लोकसभा चुनाव के अंदर अगर कांग्रेस ने अपने पुरानी गलतियों से सीख लेते हुए हरियाणा कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी को ठंड न करने का प्रयास किया तो नहीं संदेश के परिणाम चुनाव परिणाम में देखने को मिल सकते हैं।

कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को इस मामले में पहल करनी चाहिए तथा कोई ना कोई सकारात्मक कदम उठाते हुए हरियाणा कांग्रेस की गुटबाजी को स्वागत करने की पहल करनी चाहिए।

जबकि ऐसे हालात नज़र नहीं आते, क्योंकि जिस तरह से लोकसभा चुनावों के उम्मीदवारों के लिए दिल्ली में एक महीने तक दंगल के अंदर रोज मीटिंग दर मीटिंग होती रही।

आखिरकार एक महीने के बाद जाकर उम्मीदवारों की सूची सार्वजनिक हो सकी। चीन कांग्रेस के अंदर चल रही वर्चस्व तथा अस्तित्व की लड़ाई के अंदर एक दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही।