Navratri 2022: नवरात्रि के तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

आज चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है, यानि मां दुर्गा की तीसरी शक्ति की उपासना का दिन । आज मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की उपासना की जायेगी । देवी मां के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित होने के कारण ही इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है ।

मां चंद्रघंटा का वाहन सिंह है। जिनके दस हाथों में से चार दाहिनी हाथों में कमल का फूल, धनुष, जप माला और तीर है और पांचवां हाथ अभय मुद्रा में रहता है, जबकि चार बाएं हाथों में त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार है और पांचवा हाथ वरद मुद्रा में रहता है, उनका स्वरूप भक्तों के लिए बड़ा ही कल्याणकारी है।

ये सदैव अपने भक्तों की रक्षा के लिये तैयार रहती हैं । इनके घंटे की ध्वनि के आगे बड़े से बड़ा शत्रु भी नहीं टिक पाता है। अतः देवी चंद्रघंटा हर परिस्थिति में सभी तरह के कष्टों से छुटकारा दिलाने में सहायक है ।

कन्याओं को खीर, हलवा या स्वादिष्ट मिठाई भेट करने से माता प्रसन्न होती है। माता चंद्रघंटा को प्रसाद के रूप में गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाने से जातक को सभी बिघ्न बाधाओं से मुक्ति मिलाती है|

मां चंद्रघंटा की पूजा विधि

माता की चौकी पर माता चंद्रघंटा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गौमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टीके घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। इसके बाद पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारामां चंद्रघंटा सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।

इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि दोपहर 1 बजकर 54 मिनट तक रहेगी। चैत्र शुक्ल पक्ष की उदया तिथि तृतीया और सोमवार 4 अप्रैल को है। तृतीया तिथि दोपहर 1 बजकर 54 मिनट तक रहेगी। उसके बाद चतुर्थी तिथि लग जाएगी।