बच्चों के लिए खतरा बने मोबाइल फोन, मायोपिया छीन रही है आंखों की रोशनी

बच्चों के लिए खतरा बने मोबाइल फोन, मायोपिया छीन रही है आंखों की रोशनी

कोविड के समय में घरों में रहने का सबसे ज्यादा असर बच्चों की आंखों में पड़ा है। स्क्रीन टाइम ज़्यादा होने के कारण पहले 10 वर्ष से अधिक के बच्चों में चश्मा लगता था।

जो अब 4 वर्ष तक के बच्चों में तेजी से बढ़ा है। कोविड के बाद बच्चों में डिजिटल स्क्रीन का इस्तेमाल ऑनलाइन क्लास की वजह से काफी बढ़ा है। बच्चे गेम और वीडियो भी देर तक मोबाइल में देखते हैं।

तो वहीं बच्चों को पैरेंट्स कम उम्र में ही मोबाइल पकड़ा देते हैं। इससे बच्चों की आंखों पर असर ज्यादा आ गया है। स्क्रीन पर अधिक समय गुजारने से आंख की पुतली का साइज बढ़ जाता है।

आंख के पर्दे में मायोपिया होने पर छेद हो सकता है या पर्दा कमजोर हो सकता है। मायोपिया ज्यादा समय तक रहने से आंखों में काला या सफेद मोतिया भी हो सकता है। 

बता दें कि मायोपिया एक आम आंखों की समस्या है, जिसे आम तौर पर जिसे नजदीक की चीजें धुंधला दिखाई देने की समस्या कहते हैं, डॉक्टरों के अनुसार मायोपिया का समय रहते इलाज नहीं किया गया, तो यह आगे चलकर बच्चों में अंधेपन की वजह भी बन सकता है।