मान सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए पठानकोट की लीची का विदेशों में करेगी निर्यात: जौरामाजरा

मान सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए पठानकोट की लीची का विदेशों में करेगी निर्यात: जौरामाजरा

पंजाब सरकार पठानकोट जिले की सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली लीची को विदेशों में निर्यात करने के लिए जोर-शोर से काम कर रही है, जिससे किसानों और उत्पादकों की आय में वृद्धि होगी तथा भूजल पर किसानों की निर्भरता भी कम होगी।

यह घोषणा आज बागवानी मंत्री चेतन सिंह जौरामाजरा ने लीची जोन सुजानपुर में आयोजित राज्य स्तरीय लीची प्रदर्शनी को संबोधित करते हुए की। इस अवसर पर उनके साथ खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले तथा वन एवं वन्य जीव संरक्षण मंत्री श्री लाल चंद कटारूचक भी मौजूद थे।

जौरामाजरा ने कहा कि पठानकोट जिला पंजाब में सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली लीची पैदा करता है और राज्य के लीची उत्पादन में 60 प्रतिशत का योगदान देता है।

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि लीची उत्पादन के बारे में किसानों की जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से, पंजाब सरकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी कि पठानकोट जिले की लीची अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचे। इस उद्देश्य के लिए, लीची की पहली खेप जल्द ही विदेश में निर्यात की जाएगी।

चेतन सिंह जौरामाजरा ने यह भी कहा कि भूमिगत जल स्तर तेजी से घट रहा है और इसे रोकने का एकमात्र उपाय किसानों को धान और गेहूं की खेती से बागवानी की ओर स्थानांतरित करना है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि जितने अधिक बाग लगाए जाएंगे, उतनी ही कम गर्मी होगी, जिससे पर्यावरण में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि पठानकोट जिला लीची की खेती के लिए आदर्श है और उत्पादन और बिक्री बढ़ाकर लीची किसानों के लिए लाभप्रदता बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।

बागवानी मंत्री ने घोषणा की कि लीची की पहली खेप जल्द ही निर्यात की जाएगी। जिससे पठानकोट जिले के किसान और उत्पादक लीची की फसल से अधिक लाभ कमा सकेंगे।

उन्होंने बताया कि विदेशों में लीची निर्यात करने पर काफी लागत आने की संभावना है। इस पहल का समर्थन करने के लिए कैबिनेट मंत्री ने पठानकोट की लीची के निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए अपने वेतन से 1 लाख रुपए का योगदान दिया।

जौरामाजरा ने बताया कि पंजाब में लगभग 3,900 हेक्टेयर भूमि पर लीची की खेती होती है, जिसमें से लगभग 2,200 हेक्टेयर पठानकोट जिले में है, जो पंजाब की कुल लीची की खेती का लगभग 60 प्रतिशत है।

जिले में लीची की खेती का विस्तार हो रहा है, हर साल नए बाग लगाए जा रहे हैं, जिससे किसानों को अच्छी खासी आय हो रही है। उन्होंने कहा कि भविष्य में लीची की खेती और उत्पादन में और वृद्धि होने की उम्मीद है।

उन्होंने यह भी कहा कि लीची की खेती को बढ़ावा देने के लिए पठानकोट जिले के सुजानपुर में लीची एस्टेट की स्थापना की जा चुकी है, जहां क्षेत्र के बागवानों को एक ही छत के नीचे सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

इसके अलावा, पठानकोट जिले में कई छोटे किसान बागवानी क्षेत्र के तहत मशरूम की खेती और रेशम कीट पालन जैसे अन्य सहायक व्यवसायों में लगे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार बागबानी विभाग की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत रेशम कीट पालकों को तकनीकी सहायता और वित्तीय सब्सिडी प्रदान कर रही है।

चालू वर्ष के दौरान बागबानी विभाग ने बागबानी के लिए बिजली और नहरी पानी की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बिजली और नहरी विभागों के साथ तालमेल किया है।

निदेशक बागवानी श्रीमती शैलेन्द्र कौर ने बताया कि बागवानी विभाग की विभिन्न योजनाओं को किसानों की आवश्यकता के अनुसार तैयार कर क्रियान्वित करने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि लीची की पैकिंग के लिए 10 किलोग्राम के कार्डबोर्ड बॉक्स पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है, जो प्रति किसान अधिकतम 500 बॉक्स तक होगा।

इसके अलावा, फल एवं सब्जी उत्पादकों को प्लास्टिक क्रेट के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि तीन वर्ष से अधिक पुराने पॉली हाउस ढांचे की पॉली शीट को बदलने के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।

इसी प्रकार, ड्रिप सिस्टम से नए बगीचे लगाने वाले किसानों को राज्य सरकार 10,000 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि देगी। फूलों के बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 14,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से वित्तीय सहायता दी जाती है। मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए 50 प्रतिशत अनुदान के साथ वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है।

इस अवसर पर लीची एस्टेट सुजानपुर में लीची प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें दूरदराज के क्षेत्रों और पठानकोट जिले की लीची की विभिन्न किस्मों को प्रदर्शित किया गया।

प्रदर्शनी के दौरान विशेषज्ञों द्वारा सर्वोत्तम लीची किस्मों का चयन किया गया और प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले उत्पादकों को कैबिनेट मंत्री चेतन सिंह जौरामाजरा द्वारा पुरस्कृत किया गया। इसी प्रकार लीची व रेशम उत्पादन से जुड़े प्रगतिशील किसानों को भी सम्मानित किया गया।