हरियाणा में कैसे लगी कांग्रेस की लॉटरी ? जानिए संगठन के बिना कैसे दी बीजेपी प्रत्याशियों को मात ?

हरियाणा में कैसे लगी कांग्रेस की लॉटरी ? जानिए संगठन के बिना कैसे दी बीजेपी प्रत्याशियों को मात ?

चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़ : लोकसभा चुनाव के परिणाम में जहां महज कुछ सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी शुरू से बढ़त बनाए रहे। वहीं, कुछ सीटों पर कांटे का मुकाबला रहा। हालांकि इन परिणामों के बाद हरियाणा में मृत्यु शैया पर पड़ी कांग्रेस में फिर से एक नई स्फूर्ति जरूर मिलेगी। हरियाणा में टूकड़ों में बंटी कांग्रेस को इस चुनाव में अपने दम पर वोट नहीं मिले, बल्कि बीजेपी के साढ़े 9 साल की एंटी इनकम्बेंसी और लोगों के भीतर पनप रही नाराजगी का लाभ मिला। इसके अलावा कई अन्य ऐसे कारण रहे, जिनके चलते हरियाणा में कांग्रेस को पैर जमाने का अवसर मिल पाया।

इनमें बीजेपी की ओर से लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हरियाणा के सीएम रहे मनोहर लाल को बदलना। पूर्व गृह मंत्री अनिल विज का सैनी मंत्रीमंडल में शामिल नहीं होना। पोर्टल, सरपंचों, कर्मचारियों और अन्य वर्आग की नाराजगियां भी कांग्रेस के पक्ष में हुए मतदान का एक बड़ा कारण बनी। इसके साथ ही भूपेंद्र हुड्डा के अलावा सैलजा, रणदीप सुरजेववाला और किरण के साथ चौधरी बीरेंद्र सिंह का पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करना भी एक कारण बना। बीरेंद्र सिंह ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी को अलविदा कहकर कांग्रेस में शामिल होकर पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में खुलकर प्रचार किया, जिसका कांग्रेस प्रत्याशियों को लाभ मिला।

इस कारण हुआ नुकसान

कांग्रेस की अंदरुनी कलह के चलते भिवानी-महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम की सीट कांग्रेस के हाथ में आते-आते चली गई। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से कांग्रेस ने श्रुति चौधरी की बजाए इस पर राव दान सिंह को चुनावी मैदान में उतारा, जिसके चलते श्रुति और किरण चौधरी ने चुनाव से किनारा कर लिया। इसी प्रकार गुरुग्राम में किसी स्थानीय कांग्रेस नेता की बजाए अभिनेता और यूपी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राज बब्बर को चुनावी मैदान में उतारने का भी पार्टी को खामियाजा भुगतना पड़ा।

नहीं बन पाया संगठन

हरियाणा में कांग्रेस को 5 लोकसभा सीटों पर बेशक जीत हासिल हो गई हो, लेकिन यदि कांग्रेस में सब कुछ ठीक होता तो वह कईं अन्य सीटों पर भी कब्जा जमा सकती थी। मसलन पार्टी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष तो बनाया दिया गया, लेकिन साढ़े 9 साल से पार्टी प्रदेश में अपना संगठन नहीं बना पाई। ऐसे में संगठन में शामिल होने की राह देख रहे नेता केवल राह ही देखते रहे। इस प्रकार से नेता चुनावी माहौल में ज्यादा सक्रिय नहीं नजर आए।

इन प्रत्याशियों को मिली जीत

कांग्रेस प्रत्याशियों में सबसे बड़ी जीत रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा के नाम दर्ज की गई। दीपेंद्र ने बीजेपी के डॉ. अरविंद शर्मा को 2 लाख 90 हजार से अधिक वोट के अंतर से हराया। इसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिरसा से पार्टी प्रत्याशी कुमारी सैलजा का नंबर आता है। सैलजा ने बीजेपी उम्मीदवार अशोक तंवर को 2 लाख 60 हजार से अधिक मतों के अंतर से शिकस्त दी। इसी प्रकार से अंबाला से वरुण चौधरी, हिसार से जेपी और सोनीपत से सतपाल ब्रह्मचारी ने बीजेपी प्रत्याशियों को शिकस्त देकर जीत हासिल की।