हरियाणा सरकार को मिली ‘चौधर की किरण’ लेकिन राज्यसभा चुनाव होगा अगली चुनौती?

हरियाणा सरकार को मिली ‘चौधर की किरण’ लेकिन राज्यसभा चुनाव होगा अगली चुनौती?

एमएच वन ब्यूरो, चंडीगढ़ : हरियाणा में लोकसभा चुनावों के बाद अब विधानसभा चुनावों की सरगर्मियां तेज हो गई है। कांग्रेस को आज बड़ा झटका दिग्गज नेता और तोशाम से विधायक किरण चौधरी ने दिया है। किरण के साथ उनकी बेटी और भिवानी महेंद्रगढ़ से पूर्व लोकसभा सांसद श्रुति चौधरी ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। किरण और उनकी बेटी श्रुति को दिल्ली में हरियाणा के सीएम नायब सैनी के साथ हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल और मौजूदा केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने पार्टी में शामिल करवाया है।

किरण या श्रुति कौन जाएगी राज्यसभा ?

वहीं आने वाले दिनों में बीजेपी में मां और बेटी की क्या भूमिका होगी इसका तो आने वाले समय में पता लगेगा लेकिन विधानसभा चुनावों से पहले हरियाणा सरकार की एक परीक्षा राज्यसभा चुनाव को लेकर भी होगी, क्योंकि विपक्ष लगातार हरियाणा सरकार के अल्पमत में होने का दावा कर रहा है। आपको बता दें कि हरियाणा की रोहतक लोकसभा सीट के दीपेंद्र हुड्डा के जीतने से ये सीट खाली हुई है, जिस पर जल्द चुनावों की घोषणा होने वाली है। बड़ा सवाल ये है कि क्या बीजेपी किरण चौधरी या उनकी बेटी श्रुति चौधरी या फिर किसी और को राज्यसभा भेजती है? ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी के पास विधानसभा में राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त नंबर भी है।

किरण ने स्पीकर को भेज दिया होगा इस्तीफा- रामनारायण यादव

वहीं संविधान विशेषज्ञ रामनारायण यादव का कहना है कि किरण चौधरी काफी सुलझी हुई नेता है और उन्होंने दलबदल कानून को ध्यान में रखते हुए स्पीकर को जरूर इस्तीफा भेज दिया होगा या भेजने वाली होंगी। हालांकि किरण चौधरी का स्पीकर को भेजा गया इस्तीफा अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ है, सिर्फ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे को भेजा गया इस्तीफा ही मीडिया में सामने आया है।

दलबदल कानून के लिए कौन कर सकता है अपील ?

वहीं रामनारायण यादव ने दलबदल कानून को बारे में बताते हुए कहा है कि अगर विधायक इस्तीफा नहीं देता है तो इस पर कोई भी अपील कर सकता है, ओडिशा के एक विधायक के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर किसी विधायक ने पार्टी बदल ली है तो उसे इस्तीफा देना जरूरी होता है।

हरियाणा विधानसभा में क्या है मौजूदा स्थिति ?

आपको बता दें कि इस वक्त बीजेपी के पास 41 विधायक है, इसके साथ बीजेपी को हलोपा के गोपाल कांडा के साथ एक निर्दलीय विधायक का समर्थन है। वहीं विपक्ष में कांग्रेस के पास इस वक्त 29 विधायकों के साथ 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है, जेजेपी के 10 विधायक, इनेलो के एक विधायक अभय सिंह चौटाला और एक निर्दलीय विधायक बलराज कुंडु ने किसी को समर्थन नहीं किया है। दरअसल हरियाणा विधानसभा में दो विधायकों के इस्तीफे और एक विधायक के निधन के बाद कुल 87 विधायक मौजूद है।

बहुमत के लिए क्या होगा संख्या बल ?

वहीं रामनारायण यादव विधानसभा की संख्या बल को लेकर भी कहा है कि हरियाणा में बीजेपी को सरकार बचाने के लिए 44 विधायक होना जरूरी है। क्योंकि किरण चौधरी के पाला बदलने और इस्तीफा मंजूर होने के बाद विधायकों की संख्या 86 हो जाएगी और अगर विपक्ष एकजुट रहता है तो भी बीजेपी के समर्थन में 44 विधायक सदन में होने जरूरी है।