देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जा रही है। हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसे में देशभर में कृष्ण जन्मोत्सव को काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
जन्माष्टमी के अवसर पर जगह-जगह मेले लगते है एवं कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
जन्माष्टमी के पावन अवसर पर आज हम आपको बताएंगे श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े ऐसे तथ्य जिनसे आप शायद अनजान हो। तो आइए जानते है श्रीकृष्ण से जुड़ी वो बातें, जो हैरान करने वाली हैं…
- भगवान कृष्ण के कुल 108 नाम हैं, जिनमें कान्हा, कन्हैया, गोविंद, गोपाल, घनश्याम, गिरधारी, मोहन, बांके बिहारी, माधव, चक्रधर, देवकीनंदन प्रमुख हैं।
- कहा जाता है कि श्रीकृष्ण की कुल 16108 रानियां थीं. वास्तव में उनकी 8 पटरानियां थीं। उनका नाम रुक्मिणी, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा था। बाकी सभी को उन्होंने पत्नी का दर्जा दिया था क्योंकि भौमासुर ने उनका अपहरण कर लिया था। जब श्रीकृष्ण ने उन्हें भौमासुर से मुक्त कराया तो वे कहने लगीं कि अब हमें कोई स्वीकार नहीं करेगा तो हम कहां जाएं। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें पत्नी का दर्जा देकर स्वीकार कर लिया था।
- ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के मानव अवतार का अंत एक शिकारी के तीर से हुआ था। बताया जाता है कि जब वे अपनी शिक्षा पूरी करके वापस लौट रहे थे, तब उन्होंने अपने गुरु सांदीपनि को गुरु दक्षिणा के रूप में उनके मृत बेटे को वापस लौटाया था।
- कृष्ण, देवकी की आठवीं संतान थे. सातवीं संतान बलराम थे।
- श्रीकृष्ण ही 64 कलाओं में निपुण बताए गए हैं। कहा जाता है कि उन्होंने ये 64 कलाएं गुरु सांदीपनि से 64 दिनों में सीख लीं थीं।
- श्रीकृष्ण 125 साल तक जीवित रहे। उनके अवतार का अंत एक बहेलिया के तीर से हुआ था। माना जाता है कि वो बहेलिया पिछले जन्म में बालि था। जब भगवान राम ने बालि को छिपकर मारा था तो भगवान राम ने कहा था कि अगले जन्म में मेरी मृत्यु भी तुम्हारे हाथों होगी। इसके बाद जब द्वापरयुग में नारायण कृष्ण बनकर आए तो वे जब एक पेड़ पर बैठे थे। तभी बहेलिए ने उनके पैर में बने एक निशान को चिड़िया समझ कर तीर चलाया। वो तीर कृष्ण के पैर में लगा और उसके बाद उन्होंने शरीर त्याग दिया।
- भगवान श्रीकृष्ण से भगवद् गीता सबसे पहले अर्जुन के अलावा हनुमान और संजय ने भी सुनी थी। हनुमान कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ में सबसे ऊपर सवार थे।