कतर से LNG आयात को 2048 तक बढ़ाने के लिए अरबों डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर करेगा भारत

भारत एलएनजी आयात को कतर से मौजूदा कीमतों से कम दरों पर 2048 तक बढ़ाने के लिए मंगलवार को अरबों डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर कर सकता है।

सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड यहां भारत ऊर्जा सप्ताह के मौके पर प्रति वर्ष 75 लाख टन के आयात को बढ़ाने के लिए कतरएनर्जी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करेगी।

सूत्रों ने बताया कि पेट्रोनेट वर्तमान में दो अनुबंधों के तहत कतर से प्रति वर्ष 85 लाख टन एलएनजी (तरल प्राकृतिक गैस) का आयात करता है। पहला 25-वर्षीय समझौता 2028 में समाप्त होना है और अब इसे 20 अतिरिक्त वर्षों के लिए बढ़ाया जा रहा है। 10 लाख टन प्रति वर्ष का दूसरा समझौता 2015 में हुआ था उस पर अलग से बातचीत की जाएगी।

भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है। 2070 तक ‘नेट जीरो’ कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य से वह प्राकृतिक गैस को एक बदलाव के लिए उपयुक्त ईंधन के रूप में देखता है।

‘नेट जीरो’ का क्या है मतलब?

‘नेट जीरो’ से तात्पर्य है कि कोई देश वातावरण में कार्बन आधारित ग्रीनहाउस गैसों का जितना उत्सर्जन कर रहा है, उतना ही उसे सोख और हटा भी रहा है। यानी उसकी तरफ से वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों का योगदान न के बराबर हो।