एक चिट्ठी ने कैसे खत्म किया सहारा का साम्राज्य, क्यों जाना पड़ा था सुब्रत रॉय को जेल

एक चिट्ठी ने कैसे खत्म किया सहारा का साम्राज्य, क्यों जाना पड़ा था सुब्रत रॉय को जेल

सहारा इंडिया परिवार. वो नाम जो एक समय पर सड़क के बिल बोर्ड से लेकर सिनेमाघरों के परदो तक पर हुआ करता था. 90 के दशक में बड़ा हुआ ऐसा कोई शख्स नहीं होगा, जो सहारा के बारे में न जानता हो. सहारा ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय थे. 14 नवंबर की देर रात 75 साल की उम्र में सुब्रत रॉय का निधन हो गया. उन्होंने मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली. सुब्रत रॉय को लोग सहाराश्री भी कहते थे.

स्कूटर पर नमकीन बेचने से की थी करियर की शुरूआत

बिहार के अररिया जिले के रहने वाले सुब्रत रॉय ने स्कूटर पर नमकीन बेचने से अपने करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद वह कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते चले गए और बिजनेस की दुनिया में एक बड़ा मुकाम हासिल किया. फाइनेंस, एंटरटेनमेंट, रियल एस्टेट, मीडिया, हेल्थकेयर, हॉस्पिटैलिटी और टूरिज्म के क्षेत्र में सहाराश्री का साम्राज्य फैला हुआ था.

सुब्रत रॉय कभी देश की सबसे बड़ी शख्सियत हुआ करते थे. लेकिन सिर्फ एक चिट्ठी ने उन्हें अचानक अर्श से फर्श तक पहुंचा दिया. नौबत यहां तक आ गई कि सुब्रत रॉय को जेल जाना पड़ा. आइए जानते हैं उस चिट्ठी की पूरी कहानी, जिसने देश की जानी-मानी हस्ती को जेल पहुंचा दिया.

एक चिट्ठी से अर्श से फर्श पर आया सहारा ग्रुप 

यह बात है 4 जनवरी 2010 कि जब पेशे से सीए रोशन लाल ने नेशनल हाउसिंग बैंक को चिट्ठी भेजी. इस चिट्ठी में उन्होंने दावा किया था कि बड़ी संख्या में लोगों ने सहारा ग्रुप की कंपनियों के बॉन्ड खरीदे हैं, जो तय नियमों के अनुसार जारी नहीं किए गए. ये बॉन्ड सहारा रियल स्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन की तरफ से जारी किए गए थे. रोशन लाल ने इन बॉन्ड्स के जांच की मांग की. नेशनल हाउसिंग बैंक ने रोशन लाल की इस चिट्ठी को सेबी के पास भेज दिया.

सेबी ने चिट्ठी आने के बाद जरा भी देर नहीं की और मामले की जांच शुरू कर दी. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचता है. अदालत ने 15 पर्सेंट वार्षिक ब्याज के साथ सहारा ग्रुप को निवेशकों को पैसा लौटाने का आदेश दिया. निवेशकों को वापस करने वाली रकम 24,029 करोड़ रुपये थी. इस सबके बीच एक ऐसी बात निकलकर सामने आई जिसने सबको हैरत में डाल दिया. रोशन लाल की जिस चिट्ठी से सहारा ग्रुप अर्श से फर्श पर आया. वो रोशन लाल नाम का कोई शख्स था ही नहीं. उसका आज तक भी पता नहीं लगाया जा सका है. ऐसा माना जाता है कि वो शिकायत किसी कॉरपोरेट प्रतिद्वंद्वी ने की थी.

सुब्रत रॉय को जाना पड़ा जेल

इसके बाद कोर्ट ने कहा कि सहारा ग्रुप ने सेबी के कानूनों का उल्लंघन किया है. उन लोगों से भी पैसे लिए गए जो बैंकिंग की सुविधा ही नहीं उठा सकते थे. वहीं जब सहारा ग्रुप निवेशकों का पैसा देने में असफल रही तो 4 मार्च 2014 को सुब्रत रॉय को तिहाड़ जेल भेज दिया गया. कोर्ट नें उन्हे निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपये ब्याज के साथ लौटाने को कहा था.

इस कारण सुब्रत रॉय की निजी जिदंगी के साथ उनका कारोबार भी काफी बुरी तरह प्रभावित हो गया. सहारा प्रमुख करीब दो साल तक जेल में रहे और 2017 से पेरोल पर थे. वहीं सहारा का यह भी कहना था कि वो निवेशकों को पैसा वापस करना चाहती है, लेकिन रकम सेबी के पास फंसी है.