समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार, जल्द लागू कर सकती है उत्तराखंड सरकार

समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार, जल्द लागू कर सकती है उत्तराखंड सरकार

2 सालों के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार उत्तराखंड सरकार समान नागरिक संहिता पर कानून पेश कर सकती है। 27 मई 2022 को उत्तराखंड सरकार ने पूर्व जस्टिस रंजना देसाई के अगुवाई में 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था।

जिसने 4 बार एक्सटेंशन लेने के बाद आखिरकार सरकार को ड्राफ्ट सौंप दिया है। मसौदे में 400 से अधिक धाराएं शामिल हो सकती हैं, जिसका लक्ष्य पारंपरिक रीति-रिवाजों से उत्पन्न होने वाली विसंगतियों को खत्म करना है।

समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी। इसके अलावा लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय की जा सकती है।

लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को अपनी जानकारी देना अनिवार्य होगा और ऐसे रिश्तों में रहने वाले लोगों को अपने माता-पिता को जानकारी प्रदान करनी होगी।

साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए पुलिस में रजिस्ट्रेशन भी जरूरी होगा। इस ड्राफ्ट में कहा गया है कि विवाह के बाद अनिवार्य पंजीकरण की आवश्यकता हो सकती है।

प्रत्येक विवाह का संबंधित गांव, कस्बे में पंजीकरण कराया जाएगा और बिना पंजीकरण के विवाह अमान्य माना जाएगा। साथ ही विवाह पंजीकरण नहीं कराने पर किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित होना पड़ सकता है।

ड्राफ्ट में मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार दिया गया है और गोद लेने की प्रक्रिया भी सरल की जाएगी। लड़कियों को भी लड़कों के बराबर विरासत का अधिकार मिलेगा।

मुस्लिम समुदाय के भीतर इद्दत जैसी कुप्रथाओं पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। पति और पत्नी दोनों को तलाक की प्रक्रियाओं तक समान पहुंच प्राप्त होगी।

कानून में नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु की स्थिति में बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी को दी गई है और उसे मुआवजा भी देने की बात हो सकती है।

वहीं, पति की मृत्यु की स्थिति में यदि पत्नी पुनर्विवाह करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा माता-पिता के साथ साझा किया जाएगा।

यदि पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता-पिता को कोई सहारा नहीं मिलता है, तो उनकी देखरेख की जिम्मेदारी पति पर होगी।

अनाथ बच्चों के लिए संरक्षकता की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा। पति-पत्नी के बीच विवाद के मामलों में बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकती है।

बच्चों की संख्या पर सीमा निर्धारित करने सहित जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रावधान पेश किए जा सकते है। हालांकि, आदिवासियों को UCC से छूट मिलने की संभावना है।

बता दें, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सामान नागरिक संहिता को आगामी सत्र में विधानसभा में पेश करने की बात कही है। साथ ही यह कानून लागू होते ही उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला प्रदेश बन जायेगा।