क्या आप भी ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं खाना? 1 कॉल से हो सकता है भारी नुकसान

क्या आप भी ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं खाना? 1 कॉल से हो सकता है भारी नुकसान

अगर अगली बार आपके फोन की घंटी बजे और उधर से रिकॉर्डेड आवाज सुनाई दे तो जरा सतर्क हो जाइएगा। क्योंकि ये फ्रॉड कॉल आपके लिए ख़तरे की घंटी भी हो सकती है।

आजकल साइबर ठग लोगों को लूटने के लिए रोजाना नए-नए तरीके खोज रहे हैं। इससे बचने का सिर्फ एक ही तरीका है कि आप हमेशा सतर्क रहें। मार्केट में अब साइबर ठगों ने नया जाल बिछाया है।

दरअसल दिल्ली में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जहां फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म से एक ऑटोमेटेड कॉल आई और 26 साल की कारोबारी महिला के बैंक खाते से 97,000 रुपये गायब हो गए।

साउथ दिल्ली की उस महिला ने फौरन साइबर सेल से संपर्क किया। जांच में एक पूर्व डिलिवरी ब्वाय के गैंग की धोखाधड़ी पता चली, जिसमें उसका एक साथी भी शामिल था।

यह गैंग फूड डिलिवरी एप से जुड़े बैंक खाते को हैक करने के लिए IVR (इंटरैक्टिव वॉइस रिस्पांस) सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा था। जिसमें पहले से रिकॉर्ड मैसेज समेत कई इंटरफेस शामिल होते हैं।

पुलिस ने आरोपियों के पास से 2 मोबाइल फोन बरामद किए हैं, जिसमें एक अपराध में इस्तेमाल किया गया था। 3 सिम कार्ड के अलावा 9 क्रेडिट और डेबिट कार्ड, एक नकली आधार कार्ड भी बरामद किया गया है।

पीड़ित महिला ने पुलिस को बताया कि उसे पहले से रिकॉर्ड किया जैसा संदेश मिला था। उसे बताया गया कि कोई उसके ऐप खाते को एक्सेस करने की कोशिश कर रहा है।

चालबाजी से उसे कुछ नंबर दबाने के लिए कहा गया। अगले ही मिनट उसके फूड डिलिवरी अकाउंट के साथ लिंक लेजी पे अकाउंट से पैसा कट गया। इस पैसे का इस्तेमाल कर एप से कई सामान खरीदे गए।

एसीपी राजेश कुमार और एसएचओ अरुण वर्मा की टीम ने छापा मारकर दोनों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों ने बताया कि वे कम कीमत पर ऑनलाइन बिक्री प्लेटफार्मों से किराने का सामान खरीदते थे और उन्हें बाजार में बेचते थे।

इस तरह से हर ऑर्डर पर उन्हें 5 से 10% की बचत होती थी। वे एक टेलिग्राम चैनल के मेंबर थे जहां पंजाब के एक शख्स ने उन्हें आईवीआर प्रणाली का उपयोग करना सिखाया था।

संदिग्ध ने पुलिस को उन लोगों के डेटा भी दिए। जिन्होंने अपने क्रेडिट और डेबिट कार्ड या इंटरनेट बैंकिंग को अपने फूड डिलिवरी ऐप खाते से जोड़ा था।

डीसीपी ने बताया कि पीड़ितों के पास जितनी धनराशि उपलब्ध होती थी, उतने ही पैसे से कालरा किराने के सामान का ऑर्डर देता था।

पुलिस उन तक न पहुंच सके और किसी तरह का शक न हो इसलिए गुरुग्राम में डिलिवरी के पते भी अलग-अलग दिए गए थे।