चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़:
लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के सत्ता में आने पर संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने का भ्रम फैलाकर विपक्ष की ओर से जनता को गुमराह किया गया। अब दिल्ली में बनाए गए नए संसद भवन में संसदीय परंपरा से लोकसभा एवं राज्यसभा कार्यवाही की जा रही है, जबकि पुराने संसद भवन को संविधान भवन के रूप में देश को समर्पित किया गया है।
पुरानी संसद भवन से संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विशाल प्रतिमाओं को नए संसद भवन में स्थानांतरित किया जाना प्रस्तावित है। इस पर विपक्षी नेता राहुल गांधी के साथ एक बार फिर से देश भर के अंबेडकरवादी और गांधीवादी इन प्रतिमाओं को स्थानांतरित किए जाने पर विस्तृत जानकारी के अभाव में देश को गुमराह करने वाली बयानबाजी कर रहे हैं।
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के अधीन डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन के पूर्व सदस्य सूरजभान कटारिया ने इस सारे संवेदनशील विषय पर देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री को पत्र लिखकर वास्तविक स्थिति देश को अवगत कराने का आग्रह किया है।
महापुरुषों की तरह दिया सम्मान
कटारिया का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अन्य महापुरुषों के साथ-साथ बाबा साहब अंबेडकर को कई मामलों में सम्मान देने का कार्य किया है। बाबा साहब के मध्य प्रदेश के महू में उनकी जन्माभूमि के अलावा महाराष्ट्र के नागपुर में दीक्षाभूमि, दिल्ली की 26 अलीपुर रोड को महापरिनिर्वाण भूमि और मुंबई के दादर को संस्कार समेत के साथ लंदन में उनकी शिक्षा भूमि को पंचतीर्थ के रूप में देश को समर्पित किया। ऐसा करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा साहब को सच्ची श्रद्धांजलि दी है।
देश भर में हो रही चर्चा
बता दें कि पिछले करीब एक महीने से पुराने संसद भवन से नई संसद भवन में स्थानांतरित बाबा साहब अंबेडकर महात्मा गांधी आदि की प्रतिमाओं का विषय देशभर में चर्चा का विषय बना है।
कई संगठन इस विषय पर धरना प्रदर्शन आदि भी कर रहे हैं। कटारिया का कहना है कि इस पर वास्तविक स्थिति की जानकारी देश के सामने आनी अति आवश्यक है, जिससे जनता के बीच किसी भी प्रकार का भ्रम ना उत्पन हो।